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आशिक आज का विषय

चाहा तो बहुत पर कभी उसकी ख़ामोशी न समझ पाए।
उसकी मुस्कुराहटों के पीछे छुपी उदासी न समझ पाए।

इतना करीब होते हुए भी उसकी बेबसी से अनजान रह गए।
मजबुरियों में बंधे हुए बेबस हो कर यह जुदाई सह गए।

उसका साथ ना मिला और आगे बढ़ने की वजह ना थी।
उनके आंसूओं को देख भी चुप रहना, कम सज़ा ना थी।

दिल दोनों का ही टूटा था, अजब समय का ये खेल था।
कच्चे मकानों का भी आज तक हुआ महलों से मेल था।

कुछ वक्त की थी साज़िशें, कुछ अपनों ने बुना जाल था।
एहसास ना उसे जता सके, बस यह ही हमें मलाल था।

याद करेगी दुनिया नाकाम आशिक की मोहब्बत का फ़साना
खुद के वजूद को को मिटा कर कैसे होता है मोहब्बत निभाना

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9 Comments

RAKHI Saroj

14-Dec-2022 02:28 PM

Nice

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Pawan kumar chauhan

13-Jul-2021 11:51 AM

Behtareen

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Renu Singh"Radhe "

13-Jul-2021 08:23 AM

बहुत खूब

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