रिश्तों की राजनीति- भाग 6
भाग 6
अक्षय किसी न किसी बहाने अभिजीत की बहन सान्वी से टकराने लगा था। वो चाहता था वो किसी तरह सान्वी के मानस पटल पर छा जाए। सान्वी चाहकर भी उसे नज़र अंदाज़ न कर पाए। उसने अपने दोस्तों के द्वारा सान्वी की कॉलेज की और घर की दिनचर्या के बारे में पता करवा लिया था।
उसे पता था सान्वी किस समय लाइब्रेरी में और किस समय कैंटीन में जाती है, साथ ही उसके कॉलेज आने जाने का समय भी।
सान्वी की सादगी में लिपटी खूबसूरती उसे आकर्षित करने लगी थी उसकी ओर। मेकअप से पुती लड़कियों के चेहरे देख-देखकर वो ऊब चुका था। सान्वी का चेहरा किसी फूल की तरह था, ताज़गी से भरा हुआ। उसे यह अच्छी तरह से मालूम था कि पैसा, अमीरी उसका दिल नहीं जीत सकती। इसलिए वो आजकल लाइब्रेरी के चक्कर लगाया करता था। जैसे ही वो लाइब्रेरी में आती थी, वो किताब में मुँह छिपा लिया करता था, यह दिखाने के लिए कि वो पढ़ाई को लेकर कितना गम्भीर है।
पढ़ाई को लेकर दोनों के बीच बातचीत शुरू होने लगी थी। पहले लाइब्रेरी में उनकी मुलाकात होती थी, अब कैंटीन में भी होने लगी थी। सान्वी को अक्षय अच्छा लगने लगा था। वो उसकी ओर आकर्षित होने लगी थी। लेकिन मन ही मन वो अपने भाई अभिजीत से भी डरती थी। इसलिए न चाहते हुए भी वो कॉलेज में खुलकर अक्षय से बात करने से कतराती थी। उसे डर था अगर वो ज्यादा अक्षय के साथ बात करती दिखायी दी कॉलेज में तो कोई न कोई यह खबर उसके भाई तक आराम से पहुंचा देगा।
अभिजीत की न कॉलेज में कोई गर्लफ्रेंड थी, न कॉलेज के बाहर। उसका पूरा ध्यान अपना करियर बनाने में था और वैसे भी भविष्य में उसकी शादी उसके मामा की लड़की शरवरी से होना लगभग तय था। वो बचपन से साथ थे, वो उसकी अच्छी दोस्त थी। उसे पता था शरवरी के मन में उसके लिए भावनाएं हैं लेकिन अभिजीत के मन में प्यार जैसा कुछ नहीं था। उसे लगता था शादी से पहले प्यार हो या न हो क्या फर्क पड़ता है, शादी के बाद तो प्यार हो ही जाता है।
ऐसे ही एक दिन सान्वी लाइब्रेरी में पढ़ने के लिए आयी तो उसे अक्षय कहीं दिखा नहीं। पढ़ने में भी उसका ध्यान नहीं लग रहा था। जैसे ही दरवाज़े पर कोई आहट होती, वो झट से नज़र उठाकर बाहर की ओर देखती और अक्षय को न पाकर उदास हो उठती। उसका मन नहीं लग रहा था पढ़ाई में, उसने अपनी किताबें उठायी और अपनी सहेली रिया के साथ घर चली गयी।
रास्ते में भी उसने रिया से खास बात नहीं की, यह कहकर कि उसके सिर में तेज़ दर्द हो रहा है। घर आकर उसने सोचा कि अक्षय को मैसेज करूँ लेकिन फिर उसे लगा कि इतनी बेचैनी दिखाना भी ठीक नहीं है।
अक्षय लाइब्रेरी से ही नहीं कॉलेज से भी गायब था। चार-पांच दिन से वो कॉलेज ही नहीं आया था। करीब एक सप्ताह बाद जब सान्वी ने उसे कॉलेज लाइब्रेरी में पढ़ते हुए देखा तो उसके चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। वो अक्षय को हैलो करने जा ही रही थी कि वो झट से उठा और फट से लाइब्रेरी के बाहर निकल गया।
दिन में भी कई बार दोनों का आमना सामना हुआ लेकिन अक्षय ने उसे नजरअंदाज कर दिया। उसने सान्वी से बात करना, उसकी तरफ प्यार से देखना, मुस्कराना बंद कर दिया था। वो उसे पूरी तरह से नजरअंदाज करने लगा था। सान्वी को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उसका कसूर क्या है, जो अक्षय उसे यूँ नजरअंदाज कर रहा था।
वो अक्षय से मिलकर बात करना चाहती थी, लेकिन उसने कॉलेज में सबके सामने बात करना मुनासिब नहीं समझा। फिर उसने अक्षय को मैसेज करने के बारे में सोचा, लेकिन जैसे तैसे अपने आपको रोक लिया। वो अजीब सी कश्मकश में फँस गयी थी। दिल उसे अक्षय की ओर खींच रहा था और दिमाग उसे, घर के नियम कायदों की ओर। सारा दिन इसी सोच में निकल गया, फिर दिल ने दिमाग को यह कहकर मना लिया कि आखिर एक मैसेज भेजने में, फोन पर बात करने में, मिलने में हर्ज़ ही क्या है?
क्या उसे अपने दोस्तों से मिलने के लिए भी भाई की इजाज़त लेनी पड़ेगी? अभिजीत दादा के तो कॉलेज में लड़के क्या, लड़कियाँ भी दोस्त हैं। कितनी बारी उसने दादा को कॉलेज की कैंटीन में सबके साथ हंसी-मज़ाक करते हुए देखा था। उसने तो कभी कुछ नहीं कहा दादा से इस बारे में, फिर वो क्यों दादा के गुस्से से डर रही है?
दिल दिमाग को अलग-अलग तर्क देकर उलझा रहा था और, दिल और दिमाग की इस जंग में दिल जीतता जा रहा था, यानि कि अक्षय इस खेल में बाजी जीतता जा रहा था और सान्वी हारती जा रही थी।
रात को सान्वी ने अक्षय को फोन पर मैसेज करके कहा कि मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ। कॉलेज ख़त्म होने के बाद मुझे पास वाले कैफ़े में मिलना।
सान्वी अक्षय के जवाब का इंतज़ार कर रही होती है लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आता। अगले दिन भी वो सान्वी की तरफ ध्यान नहीं देता। अक्षय की बेरुखी सान्वी को बेचैन कर रही होती है। घर जाते समय सान्वी रिया को कहती है कि उसे अपने मामा के घर जाना है किसी काम से, इसलिए वो आज उसके साथ घर नहीं जाएगी।
रिया उसे बाय कहकर अपने घर चली जाती है। अक्षय ने सान्वी के मैसेज का अभी तक जवाब नहीं दिया होता है, फिर भी सान्वी न जाने किस उम्मीद में कैफ़े पहुँच जाती है। एक कोल्ड कॉफी ऑडर करती है और अक्षय के बारे में सोचने लगती है। कॉफी का एक-एक सिप लेते हुए वो खिड़की से बाहर देखते हुए सोच रही होती है……. आज वो पहली बार इस तरह से किसी कैफ़े में बैठकर अकेले कॉफ़ी पी रही है, उसने अपनी आई से आज पहली बार झूठ बोला था कि उसे घर आने में देर हो जायेगी क्योंकि वो कॉलेज ख़त्म होने के बाद रिया के साथ मॉल जायेगी और साथ ही अपनी सबसे अच्छी दोस्त रिया से भी झूठ बोला था। वो भी किसके लिए, उस अक्षय के लिए जिसे उसकी ज़रा सी भी फ़िक्र नहीं थी। उसका दिमाग उसे फिर से सिगनल दे रहा था कि वो गलत कर रही है।
❤सोनिया जाधव
Neelam josi
21-May-2022 04:00 PM
Nice 👍🏼
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Reyaan
20-May-2022 02:44 PM
👏👌
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Seema Priyadarshini sahay
19-May-2022 04:54 PM
बेहतरीन कहानी
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