शिकायत
शिकायत
कहते हो, बहुत शिकायतें करती हूं।
काश ! दिल खोल कर दिल की जुबां सुनी होती।
एक बार तो मन की किताब ,खोल लेते मेरी।
फिर शिकायतों की कोई गुंजाइश ही ,नहीं होती।
हमारे दिल में जो जज्बात होते हैं ।
हम अपना समझ तुमको जता देते है।
लेकिन पकड़ अपना सिर तुम तो गुस्सा हो।
परामर्श देने पर कतरा देते हो।
खुशबू तेरी मोहब्बत की ।
तेरी आवाज में महसूस करते हैं।
खुशी हो या गम्भीर हालात मेरे ।
तुमकों बता राहत की उम्मीद करते है।
ये शिकायत नहीं मेरी ,तुम पर मेरा हक है।
सनम हो मेरे तुम, अपने पास मेरा दिल रखते हों।
मेरी रूह से बस ,तेरे उतकृष्ट प्रेम की जोत जलती है।
निर्वाह मेरे जीवन का ,बेहताशा तेरी चाहत की होती हैं।
नीलम गुप्ता 🌹🌹(नजरिया)🌹🌹
दिल्ली
Niraj Pandey
14-Jul-2021 03:09 PM
वाह👌
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Ravi Goyal
14-Jul-2021 02:58 PM
Bahut khoob 👌👌
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