Ananya Pandey

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मेरी कश्ती डूबा गया था वो-19-May-2022

मेरी कश्ती डूबा गया था वो________

इल्म था मुझे इस बात का ----
कि कल्पनाओं की दुनिया मुझे 
भौतिक सुख नहीं दे सकती
कुछ प्राप्य नहीं हो सकता 
लेकिन उसने कभी ये समझा ही नहीं
कि उसकी जादुई सल्तनत 
मुझे किस कदर मानसिक तृप्ति देते है....

एक दीवार खड़ी कर दी उसने 
हक़ीक़त और कल्पनाओं के बीच
जिसके इसपार वीरानियाँ 
और उस पार उसकी खूबसूरत सल्तनत
कुछ शर्तें रखी गई 
और साफ़-साफ़ उन दीवारों पर लिखा गया 
सिर्फ़ कल्पनाओं का मेरी सल्तनत में 
"प्रवेश निषेध है"

आज
जलती हुई लालटेन 
उम्मीदों के मिन्नतों से बांध
जब रखी गई
रेल की पटरियों के बीच
एक हलचल सी मची
उसके वास्तविकता ख्वाबों के पनाहगाह में...

क्योंकि-----

जाते जाते "उसने कहा था"
जानती हो -----
ये पटरियाँ कहाँ जाती है..?
कोई नहीं जानता
ये सिर्फ़ जाती हुई नजर आती है 
कभी लौट कर नहीं आती..


तुम कभी मत आना.... इन रास्तों से होकर
अपनी कल्पनाओं के संग
मेरी दुनिया मेरे ख़्याल मेरी हक़ीक़त है
और मैं वहाँ का शहंशाह
मेरे सपनें मेरी सल्तनत 
जिसे मन चाहें रंगों से सजाता हूँ
मैं अपनी वास्तविकता के 
ख्वाबों के पनाहगाह में 
सिर्फ़ कल्पनाओं के संग नहीं चल सकता 

मेरी कश्ती को डूबा गया था वो....
इस दिल को रुला गया था वो,
हर कोई ताने मारने में लगे थे,
मेरे दिल में आग लगा गया था वो.......




मगर कहते है ना---
प्रेम तन से कहीं परे होता है 
और उसकी टीस
कोई भी दीवार गिरा सकती है 
यूँ ही तो नहीं हुआ होगा न...? 
उसके सल्तनत में हलचल
कोई कसक तो उस ओर भी होगी न...?
-------------
प्रिया पाण्डेय रोशनी 

#लेखनी####

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12 Comments

Seema Priyadarshini sahay

21-May-2022 04:05 PM

वाह मैम

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Neelam josi

21-May-2022 03:29 PM

Very nice 👌

Reply

Fareha Sameen

20-May-2022 09:10 PM

Nice

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