Madhu Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -20-May-2022मुशकिल लग रही है

मुश्किल लग रहा

बिना तुम्हारे सांसों का आना मुश्किल लग रहा है।
क्या कहूं तुम्हारे बिना जीना मुश्किल लग रहा है।

धड़कने  बेताब सी लगती हैं मुझको सनम
इन्हें समझाना मुश्किल लग रहा है।

वादे किए थे जो तुमने मुझसे कभी
उन्हें आज छुपाना मुश्किल लग रहा है।

चाहते तुम्हारी हर पल बढी इस कदर।
उन्हें दबाना मुश्किल  लग रहा है।

मिलन के कितने क्षण साथ बिताए मधु
उन्हें गिनाना मुश्किल  लग रहा है।
                    रचनाकार ✍️
                    मधु अरोरा
                    19.5.2020

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9 Comments

Seema Priyadarshini sahay

21-May-2022 03:58 PM

बेहतरीन

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Neelam josi

21-May-2022 03:34 PM

Very nice 👌

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Shrishti pandey

21-May-2022 10:20 AM

Nice

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