लेखनी कविता-20-May-2022 जीवन की परिभाषा
रचयिता-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक-जीवन की परिभाषा
जीवन की होती है दो बहने,
एक है आशा दूसरी निराशा।
करती पल में तोला पल में माशा,
रहती है उनमें अनेक अभिलाषा।
लेकिन फिर भी रहती हमेशा अधूरी परिभाषा।।
जिसने इसकी डोर संभाली,
तल तक गहराई नपवाली।
जीने की सच्चाई पाली,
उसका ही जीवन दिवाली।।
अगर बनाना जीवन को सार्थक,
हमें बनना होगा आस्थक
चलना होगा परहित के पद
छलना होगा हमें स्वार्थ।।
जन्म हर्ष की चमक लाता है,
जीवन कोहरे को देख रुक जाता है।
मानव का इतिहास यही बतलाता है,
चिंगारी जैसा जीवन, भस्म बन जाता है।
नॉनस्टॉप प्रतियोगिता-भाग6 2022
Seema Priyadarshini sahay
21-May-2022 03:44 PM
बेहतरीन
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Neelam josi
21-May-2022 03:09 PM
Very nice
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Gunjan Kamal
21-May-2022 11:10 AM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌🙏🏻
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