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सम्पर्क

जब तुम से मेरा संपर्क हो जाता है,
मेरे अधीर मन को चैन मिल जाता है।

तेरी याद में मुरझाये मेरे चेहरे पर भी,
एक अलौकिक निखार आ जाता है।

सारे दिन राह तकता हूँ तुम्हारे फ़ोन की,
वो प्रतीक्षा का क्षण काटा नहीं जाता है।

तुम्हारा फ़ोन आना और मेरा दौड़ जाना,
मुझे प्रेम रोगी की पदवी दिला जाता है।

"निक्क" ये अवस्था मेरी छुपाए ना छुपे,
ये प्रेम तो चेहरे से व्यक्त हो जाता है।

जब तुम से मेरा संपर्क हो जाता है,
मेरे अधीर मन को चैन मिल जाता है।

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21 Comments

Abhinav ji

22-May-2022 09:03 AM

Nice

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Swati chourasia

22-May-2022 08:03 AM

बहुत ही सुंदर रचना 👌

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nikksinghnikhil

22-May-2022 08:04 AM

जी शुक्रिया आपका

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Neelam josi

21-May-2022 04:12 PM

Very nice 👌

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nikksinghnikhil

22-May-2022 08:04 AM

Thank you

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