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दावत

प्रतियोगिता के लिए


कोई भी हो भोज  लोग दावत उड़ाते हैं।

बर्बाद अन्न करके खूब बातें बनाते हैं।

लिफाफे के शगुन के हिसाब से खाना है,

प्लेट में बने सारे डिश को निकालना है।

मेजबान दिखावे में ढेरों पकवान बनवाते।

लालच में लोग आकर सब चख जाते।

पेट भर जाता है जब स्टार्टर से ही,

तो मुख्य खाना लोग क्यूँ बनवाते हैं.।

तरह तरह की रोटियां सलाद अचार

की क़्या खूब प्रदर्शनी लगाते हैं।

भर कर ले आये प्लेट खाना शुरू किया,

पनीर को खाते ही एकदम से पेट भर गया।

कहते हलवाई जाने क़्या पनीर में मिलाते,

हम जी भर के उसको खा भी न पाते हैं।

थोड़ा बहुत खाकर प्लेट टोकरी में रख दिया.

कम खाने का मलाल मन में जो रह गया।

कितनाफेंका खाना इसकी फ़िक्र नहीं.

घर आकर दावत की दास्तान सुनाते हैं।

थोड़ा सा स्टार्टर खाया कि खाना भी खा लेंगे।

थोड़ा डेज़र्ट खाकर मुँह मीठा कर लेंगे।

पर एक रोटी खाते ही पेट भर गया.

आइस क्रीम खाकर संतोष कर लिया।

क्यों करते लोग इतने खाने कि बर्बादी?

भूखे पेट कितने सोचे इन्हें फ़िक्र नहीं होती.

देते गरीब को बुला यदि थोड़ा उन्हें खाना,

मन से वे आशीष देते बहुत घना.।

कहते पुराने लोग बात ये सही

कोई मरे खाके बिन खाए मरे कोई।


स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह '

नई दिल्ली


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8 Comments

Shnaya

28-May-2022 01:09 PM

बेहतरीन

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Seema Priyadarshini sahay

24-May-2022 02:11 PM

बहुत खूबसूरत

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जबरदस्त लिखा है आपने जबरदस्त 👌👌

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