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सिंदूरी दोहे

सिंदूरी दोहे

प्रतियोगिता के लिए


माथ सिंदूर साज के, बोले मीठे बोल।

सोने के दो कंगना , ले लो प्रियतम मोल।।


मांग सिंदूर सजा कर, कह गोरी बिंदास।

पति जी हूँ सम्पूर्ण अब,मत लेना सन्यास।।


शोभित   है  सिंदूर से,  नारी का श्रृंगार।

रूप सुंदरी देखकर, करता है  पति प्यार।।


लाल सिंदूर साजती, गोरी दर्पण देख।

 संतुष्टी मन को मिले, हो जब सीधी रेख।।


समय लगाते मांग  में, गिरे नाक सिंदूर।।

आम यही है धारणा, प्यारी पति भरपूर।।


मांग सिंदूर देखकर, करता पिया ठिठोल।

जान मार  सिंदूर ये, देखत मन ये डोल।।


घर तेरे मैं आ रहा, ले    पीला    सिंदूर।

भरूँ माँग जन सामने, देखूँ छवि का नूर।।


स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह'

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8 Comments

Shnaya

28-May-2022 12:59 PM

बेहतरीन

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Seema Priyadarshini sahay

25-May-2022 01:55 PM

बहुत खूबसूरत

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Shrishti pandey

25-May-2022 12:50 PM

Nice

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