Saurabh Patel

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देख लूं

                                       तुम्हें छू कर देख लूं


कभी तुम्हें छू कर देख लूं
इसी बहाने मैं तेरे सब्र का इंतजार देख लूं 

तेरे साथ इन जवानी के दिनो का वो सफ़र देख लूं
मेरे इस बदन के लिए कोइ हमसफर देख लूं

किसी दिन शाम के बजाय तुझसे रात में मिलकर देख लूं
रह जाए दोनो के लब ख़ामोश, फिर हमारी जवानी से मिलकर देख लूं

शर्माना लाजमी है तेरा मगर मैं तुझे आजमाकर देख लूं
बदन की वो आग जला दे हम दोनो को, इस से पहले इन्हें बुझाकर देख लूं

और ज़माना आजाए हमारे बीच इस से पहले तुझे चूमकर देख लूं
देखना है तेरी उन जुल्फों की ज़ाल को, कभी उनमें फंसकर देख लूं

तू लिपटी रहे मेरी इन बाहों में ऐसा कोई इतवार देख लूं
डूबे रहे ये दोनो जिस्म बदन की गहराई में,ऐसा कोई समंदर देख लूं

तेरे बदन से मेरा बदन मिलाकर मैं ये दो अधूरे जिस्मों का मुक्कदर देख लूं
एक दूसरे के लिबास उतार सके हम दोनो के ये हाथ कभी इन हाथों को कुछ इस कदर मजबूर देख लूं...
       
            

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8 Comments

Gunjan Kamal

25-May-2022 03:47 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌👌

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Saurabh Patel

25-May-2022 05:03 PM

जी शुक्रिया आपका

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Seema Priyadarshini sahay

25-May-2022 01:57 PM

बहुत खूबसूरत

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Saurabh Patel

25-May-2022 02:45 PM

जी शुक्रिया आपका

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Punam verma

25-May-2022 11:03 AM

Nice

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Saurabh Patel

25-May-2022 12:28 PM

Thank you

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