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अंधविश्वास( कहानी )

अंधविश्वास


प्रतियोगिता के लिए
कली को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई थी उसके पति वेदांत पूना।में नौकरी करते थे। वे चार दिन बाद आने वाले थे क्योंकि डाक्टर ने एक्सपेक्टेड डेट अगले हफ्ते का दिया था। कली की सास नीमा जी मुहल्ले की दाई को बुलाकर ले आईं। दाई जांच कर के बोली आप इन्हें गर्म दूध में घी डालकर दीजिये अभी थोड़ा समय है बच्चा होंने में।
पीड़ा में कराहती कली ने अपनी सास से उसे अस्पताल ले जाने को कहा लेकिन उन्होंने यह कहते हुए साफ मना कर दिया कि उनके यहाँ अस्पताल में जचगी नहीं सहती है। कली की बहन डॉली भी आई हुई थी उसकी देखभाल के लिए । दोनों बहनें बच्चे को लेकर बहुत उत्साहित थीं कितने स्वेटर मोजे बुन डाले थे डॉली ने कली के कमरे को खिलौने और सुंदर -सुंदर माँ बेटी की तस्वीरों से सजा रखा था। डॉली ने भी कहा -"माँ जी दीदी को अस्पताल।ले चलते हैं लेकिन उन्होंने मना कर दिया। दाई कली को कभी कुछ कभी कुछ गर्म गर्म देसी चीजे पिलवाली रही । घर के सब लोग बेसब्री से नन्हें मेहमान के आने की प्रतीक्षा कर रहे थे लेकिन कली के कोख से नन्हे मेहमान का मृत शरीर ही बाहर आ पाया। कुछ ही मिनटों में पूरे घर का वातावरण गहन शोक में व्याप्त हो गया था।

स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह '


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6 Comments

Shnaya

28-May-2022 02:53 PM

बेहतरीन

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Pallavi

26-May-2022 10:00 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

26-May-2022 05:07 PM

बेहतरीन रचना

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