लेखनी प्रतियोगिता -26-May-2022 #प्रतियोगिता-फिर वहीं तलाश
कविता
फिर वही तलाश
जीवन है स्वाभिमान का मंजर,
तलाश है उस कशिश का समंदर।
भावनाओं का नाविक बनकर,
तलाश कर वह प्रेम के किनारे का सागर।
खोजकर,ढूँढता चल वह किनारा,
तलाश कर ढूँढ वह सहारा।
मत खोजा तूफानों में राहगीर,
तलाश कर नयी राह को फिर।
गतिशीलता नाम है जिन्दगी,
तलाश है वह दिवानगी।
वह कर्तव्य पथ पर बन अडिग,
तलाश है न डिग।
अपनी राह खोजकर बन संकल्पशील,
तलाश है बस बन शील।
अटूट मन में धैर्यवान बनकर रख यह भाव,
तलाश कर मन मे रख दयाभाव।
प्रेम,स्नेह से कर उत्थान,
तलाश कर वह उन्नति का स्थान।
जुड़ाव जीवन की है भावना,
तलाश कर, करके पूरा सपना।
सच्चे आनंद की अनुभूति,
तलाश है जीवन में संभूति।
इस जीवन चक्र में ढूँढ अस्तित्व,
तलाश कर उस प्रवृत्ति का नीव।
बस तूफान को पार कर फिर,
तलाश कर उस प्रेमजल का नीर।
मन की गहराई का है प्रयास,
तलाश कर उस जीवन की आस।
वह राह का समंदर,
तलाश है बस जीवन का मुकद्दर।
जीवन में हर्ष उल्लसित का मीत,
तलाश कर रखकर शांत चीत।
वह जीवन में दिवास्वप्न का साथी,
तलाश है सुख-दुःख की भाती।
वह ओजस्वी तेज सागर की देनी,
तलाश है इस धरा की वह रोशनी।
ले चल राही वही किनारा,
तलाश नहीं बस बन सहारा।
तूफानों को पार करकर,
तलाश है मझधार का प्रखर।
जीवन है स्वाभिमान का मंजर,
तलाश है उस कशिश का समंदर।
-भूमिका शर्मा
✍BHOOMMIKA
Shnaya
28-May-2022 07:40 PM
बहुत खूब
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Chirag chirag
27-May-2022 06:02 PM
Nice
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Punam verma
27-May-2022 11:16 AM
Nice
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