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Tanha raah ka raahi

नया फिर उन्वान बनाना चाहता है,
तुझे अपनी शान बनाना चाहता है।

उसने ज़मीं तो बना ली है अब,
और इक आसमान बनाना चाहता है।

उम्र के आख़िरी किस्से में,
खुद को जवान बनाना चाहता है।

और बनायेगा पहले पंख अपने,
और फिर उड़ान बनाना चाहता है।

इस दुनिया में बहुत भीड़ है यूँ भी,
तेरे चेहरे पे निशान बनाना चाहता है।

वो चाहता है एक पुर-सुकूँ जिंदगी,
और अब मकान बनाना चाहता है।

इस ज़माना-ए-बे-क़द्र में 'तनहा'
कोई फ़ने-चराग़ान बनाना चाहता है।

तारिक़ अज़ीम 'तनहा'

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6 Comments

Shnaya

28-May-2022 03:19 PM

बेहतरीन

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Chirag chirag

27-May-2022 05:29 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

27-May-2022 01:57 PM

बेहतरीन👌👌

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