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फसल

फसल

प्रतियोगिता के लिए


फसल खेत  की कर जतन काटते हैं।

सभी को  खुशी  का  चमन बाटते हैं।


फसल बो रहें थे उम्मीदों को लेकर।

पड़े जब भी सूखा  नमक चाटते  हैं।


मेहनत की उनके क़ीमत मिली क़्या।

वादों  के  झूठे   छनक   बाजते   हैं।


सूखे बारिश की भेंट चढ़ गईं तो।

अबसार सूने  अश्क़   ताकते  हैं।


किसानों को इतना कमतर न आंको।

उन्हीं के  भरोसे    बेफिक्र नाचते हैं।


अन्नदाता  हमारे आदर  हों उनका।

करें   यत्न  कितना वही  जानते हैं।


जीते  गरीबी  का अभिशाप लेकर।

उनके  अनाजों  को  कम नापते हैं।


स्नेहलता पाण्डेय

27/5/22

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8 Comments

Joseph Davis

28-May-2022 07:43 PM

Osm

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Shnaya

28-May-2022 12:40 PM

बेहतरीन

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Punam verma

28-May-2022 10:58 AM

Nice

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