लेखनी प्रतियोगिता -30-May-2022 अपने प्रेमी के साथ हो चली
रचयिता-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक-अपने प्रेमी के साथ हो चली
(यह कविता उन लड़कियों के लिए है जो टीनएज की उम्र में आते ही अपने मन को दूसरी तरफ रुख मोड़ लेती है। दूसरे लड़के से मोहब्बत करने लगती हैं। उसके अलावा उसे कुछ दिखाई नहीं देता। लेकिन उनको यह सोचना चाहिए जो लड़का आपको मां बाप का छोड़ने की बात करता है तो सोचिए क्या वह लड़का आपका साथ निभाएगा। 2 दिन का प्यार आपको बेइंतहा लगता है लेकिन जो मां बाप जिसने आप को जन्म दिया, उंगली पकड़कर चलना आपके सपनों को राह दी बेइंतहा प्यार किया उस प्यार को ठुकरा कर उस ममता को ठुकरा कर अपने दोस्त के साथ अपना परिवार छोड़कर चली जाती। अगर हम उस उम्र में अपने मुकाम को, अपने सपने को उड़ान दे तो मां-बाप को बहुत खुशी होती है और उनका सपना पूरा होता है। सोचिए जरा जो लड़का आपके मां-बाप से दूर कर सकता है वह भला आपको कैसे प्यार कर सकता है। आज की कविता इसी से संबंधित है। मेरी कविता से किसी को आहत पहुंचती है उसके लिए मैं क्षमा मांगती हूं।)
बाबुल की बगिया में बनी थी कली
तुझे क्या मालूम कितनी हुई उनको खुशी
बाबुल के प्यार को ठुकरा चली
अपने प्रेमी के साथ हो चली
जिसकी उंगली पकड़कर
रखा पहला कदम
आज उसको तू भूल चली
बाबुल की बगिया में बनी थी कली
तुझे क्या मालूम कितनी हुई उनको खुशी
दहलीज से बाहर रखने से पहले कदम
नहीं हुए तेरे पग डगमग
नहीं आया याद भाई की राखी का बंधन
नहीं आया तुझे याद मां के साथ मनाएं तीज त्यौहार
बाबुल की बगिया में बनी थी कली
तुझे क्या मालूम कितनी हुई उनको खुशी
जिस मां ने तुझे आंचल में छुपाया
उसी मां का तूने आंचल भिगोया
नहीं आई उस ममता की पल्लू की याद
बाबुल की बगिया में बनी थी कली
तुझे क्या मालूम कितनी हुई उनको खुशी
तेरे गम से बाबुल हलक से
कौर निगल नहीं पाया
आया उसके मन में बेटी का साया
क्या उसने भी खाना खाया
कैसी होगी बेटी की छत्रछाया
बाबुल की बगिया में बनी थी कली
तूझे क्या मालूम कितनी हुई उनको खुश
जिस घर में मिला बेइंतहा प्यार
दो दिन के मिलन ने भुला दिया हमारा प्यार
वह हो गया तेरा अपना
हमको बना दिया पराया
बाबुल की बगिया में बनी थी कली
तुझे क्या मालूम कितनी हुई उनको खुशी
तुम्हारे योवन पर ललचाया था
यह प्रेम नहीं छलाया था
तुम्हें भगाने पर उसकाया
तुमने हमारा दामन छुड़ाया
मां-बाप का जी दुखाया
मां-बाप को तूने ठुकराया
भाई बहन के प्यार को किया तूने पराया
बाबुल की बगिया में बनी थी कली
तुझे क्या मालूम कितनी हुई उनको खुशी
जो भी जाती मां बाप का दामन छुड़ा कर
अपनी गलती पर होता उनको पछतावा
रो-रो कर अश्क बहाती, फिर कोई नहीं होता अपना
कोई ना करें अपने मां-बाप को शर्मिंदा
कठिनाइयों से भर जाता उनका जीना
जी कर भी वो सहते बहू दुखावा
रोग ना होकर भी होती उनको पीड़ा
सोच सोच कर करते पछतावा
क्यू हमने ऐसी बेटी को जन्मा
बाबुल की बगिया में बनी थी कली
तुझे क्या मालूम कितनी हुई उनको खुशी
Barsha🖤👑
03-Jun-2022 04:40 PM
Nice
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Shnaya
31-May-2022 09:22 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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Shrishti pandey
31-May-2022 09:19 AM
Nice
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