भेदभाव
यहा भाव है, विभेद का,
मानव के स्वेद का,
मुल्यांकन है निस्तेज सा,
वही है भाव फिर तुम देखो,
भेदभाव के चपेट का,
क्यो समझे न जनाब ,
है न यहा भेदभाव।
जब कही थोडा कम है,
,कही थोडा है ज्यादा,
कही थोडा सा फिर ऊपर,
और कही नीचे ज्यादा,
यही तो है आरंभ इसका
,जो भेदभाव का इरादा,
क्यू है भेदभाव ,
अब इसपे आते है जनाब,
यह कारण लिए है,,
अकारण न मिले है,
करो ईश्वर की भक्ति,
या न मानो उसकी शक्ति,
लो हो गया अलगाव,
यही से भेदभाव,
दोनो का फल अलग,है,
सुर असुर का बन गया दल है,
इधर तारो की बात कर ले,
किस्मत से हारो की बात कर ले,
इक अमीर ,इक फकीर,
मेहनत न कही कम,फिर भी,,
फिर कैसी अलग तकदीर
यही है न जनाब
सब दिखता भेदभाव।
बडे है अन्य क्षेत्र,
यहा है अलग से नेत्र,
इसी का तो है सैलाब ,
नतीजा भेदभाव,
निर्बल और बल का,
दया और फिर छल का ,
आ करे मदद किसी की,
या छोड जाने दे चल का,
सहेजे खोए से पल का,
तेरे मेरे के सल का,
इक प्रिय व अप्रिय का,
कुछ लिए व कुछ दिए,का।
हर और है दबाव,,
सब जगह है भेदभाव,
देखो शिकायत करते ,
इक मां के होकर हिस्से,
कैसे है रहते लडते,
वो उसको कोसता है,
वो उसको टोकता है,
बाप खडा हुआ ही दूर
जाने क्या सोचता है,
उसने तो न दिया है,
कोई ऐसा संकेत जनाब,
फिर आया कैसे कहा से,
यह बेमतलब का भेदभाव।
जीवन से लेकर मृत्यु तक,
इक सोच से निशब्द कृत्य तक,
दिखता है यह बेबाक,
है कितना भेदभाव। (2)
भाव का ही भेद है,
संवाद का ही तेज है,
व्यवहार का जो खेद है,
यही है जड सब इसकी ,
जो भेदभाव का तेज है।
सब कहते है मिटा देगे,
पर मिट सका न ये जनाब,
तुम कर लो कुछ भी कितना,
ले लो कैसे भी ख्वाब,
मिटा सका न खुदा जो ,
तुम बात करते उसकी जनाब,
}न मिटा है ,न मिट सकेगा,
कही पे भेदभाव, ]-(2)
#######@#####
जय श्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण
संदीप शर्मा। (देहरादून।)
Saba Rahman
04-Jun-2022 11:21 PM
Osm
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Joseph Davis
04-Jun-2022 09:14 PM
Nyc
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Seema Priyadarshini sahay
04-Jun-2022 05:33 PM
बेहतरीन
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