Sarfaraz

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स्वैच्छिक

🌹🌹🌹🌹 ग़ज़ल 🌹🌹🌹🌹

जब तक तुम्हारे ग़म से फ़ुरसत नहीं मिलेगी।
दिल को किसी भी सूरत फ़रह़त नहीं मिलेगी।

मरकर भी मेरे दिल को राह़त नहीं मिलेगी।
जब तक के मुझको उनकी क़ुर्बत नहीं मिलेगी।

आया है बात करके जैसे ख़ुदा से देखो।
वो कह रहा है तुमको जन्नत नहीं मिलेगी।

बेलोस बढ़ते जाओ सच्चाई की डगर पर।
इस रास्ते पे तुमको दिक़्क़त नहीं मिलेगी।

यह बात सच है इसको अपना अ़मल बना लो।
इ़ज़्ज़त किए बिना तो इ़ज़्ज़त नहीं मिलेगी।

करते नहीं जो दिल से इ़ज़्ज़त असात्ज़ा की।
इ़ल्म ओ हुनर की उनको दौलत नहीं मिलेगी।

लो दूध , छाछ , शरबत छोड़ो विदेशी पानी।
इस पेपसी से तुमको सेह़त नहीं मिलेगी।

ऐसे न जी चुराओ मेह़नतकशी से अपना।
मेह़नत बग़ैर तुमको रिफ़अ़त नहीं मिलेगी।

हरगिज़ न हो सकेंगे कामिल *फ़राज़* बच्चे।
जब तक के उनको अच्छी सोहबत नहीं मिलेगी।

कर लो *फ़राज़* तौबा अच्छी घड़ी है वरना।
बख़्शिश तुम्हें किसी भी सूरत नहीं मिलेगी।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ पीपलसाना मुरादाबाद।

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7 Comments

Seema Priyadarshini sahay

02-Jun-2022 04:14 PM

बहुत खूबसूरत

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Neelam josi

02-Jun-2022 01:52 AM

बहुत खूब

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Fareha Sameen

01-Jun-2022 05:21 PM

Very nice

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