Saurabh Patel

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लेखनी प्रतियोगिता -03-Jun-2022 किस्से मुहब्बत के


अधूरी रह गई वो बाते जो कहनी थी तुझे
घर से निकलते पूरे रास्ते याद रहती थी जो मुंह जुबानी मुझे

मगर खामोशी ही रही हरबार देखकर तुझे
अब और क्या कहे तुझसे, इश्क के नाम पर बस यही हासिल है मुझे

और अब भी बाकी है क्या हमारे बीच होने को कुछ
या जो हुआ है उसे ही मैं समझ लूं इश्क के बराबर कुछ

कब से सूखे पड़े है वो मुलाकातो के तालाब जाना
अब आओ तो अपने साथ दीदार के सैलाब लाना।

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18 Comments

Seema Priyadarshini sahay

04-Jun-2022 06:08 PM

बेहतरीन रचना

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Saurabh Patel

05-Jun-2022 03:10 PM

जी बहुत शुक्रिया

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Punam verma

04-Jun-2022 09:20 AM

Nice

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Saurabh Patel

04-Jun-2022 12:24 PM

Thank you

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Abhinav ji

04-Jun-2022 08:46 AM

Nice

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Saurabh Patel

04-Jun-2022 12:24 PM

Thank you

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