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एक नारी है -04-Jun-2022


शीर्षक - एक नारी हैँ जो आज सब पर भारी हैँ..

एक नारी हैँ जो आज सब पर भारी हैँ,
वह नारी हैँ कोई तुम्हारे हाथ की कटपुतली नहीं,
उसकी  भी चाहते  हैँ ज़िन्दगी से, 
कोई तेरे लिये भोग-विलास की वस्तु नहीं, 
वह नारी है जो आज सब पर भारी हैँ |

ममता का प्रतिक हैँ कोई तेरे आँखों का कोई खेल नहीं, 
उसकी महानता को समझना कोई बच्चों का खेल नहीं, 
वह नारी है जो आज सब पर भारी हैँ |

 ब्रह्मांड का अनोखा स्वरूप हैँ नारी, 
जिसने रचे कई बड़े इतिहास हैँ, 
वह नारी है जो आज सब पर भारी हैँ |

मत समझ उसको कमजोर मुर्ख, 
वह ही इस दृष्टि की पालनहार हैँ, 
वह नारी है जो आज सब पर भारी हैँ |

रूप निराला इसका कोई रोक ना पायेगा, 
इसके अभिशाप से कोई बच ना पायेगा, 
वह नारी है जो आज सब पर भारी हैँ |

 धैर्य का ताज पहन कर जैसे वो आगे बढ़ेगी, 
खुद को दुनिया का सामने कभी कमजोर ना कहेगी, 
वह नारी है जो आज सब पर भारी हैँ |

पर्वत जैसी  जिम्मादारियों  को संभल लेगी, 
कभी वो  हार  न मानेगी, कभी वो  न थकेगी , 
वह नारी है जो आज सब पर भारी हैँ |

घर का चूला और बाहर की हर कसौटी पर खड़ी उतरेगी वो, 
दीप सा तेज़ अपने माथे पर सजाये अपनों को गौरवान्वित करेंगी वो, 
वह नारी है जो आज सब पर भारी हैँ |

कल तक शाम के समय जो मुरझा जाया करती थी, 
अब वो एक सूरज की समान हर दिशा में  चमकेगी, 
कल तक जो नीतियों की गिरफ्त में थी, 
अब वही स्वयं  के लिये कुछ नये अध्याय लिखेगी, 
वह नारी है जो आज सब पर भारी हैँ |

गंदी निगाहों से लिप्त  मनचलों को मुँह तोड़ जवाब देगी, 
कभी किसी मनचले को देख न  भागी  वो, 
वह नारी है जो आज सब पर भारी हैँ |

कल तक जो कमरे में कैद रहती थी, 
आज वो समाज के साथ कदम से कदम मिलाकर चलेगी, 
कल तक जो अपनों की बातों पर यकीन कर लेती थी, 
अब वह खुद की काबिलियत को पहचान  उज्वल अपना नाम करेगी, 
वह नारी है जो आज सब पर भारी हैँ |

कल तक जो घर की रेखा को पार करने से घबरा जाती थी, 
अब वो खुद के विचरों से एक नया आयाम देगी, 
कल तक जो घर रहकर काम करने को मजबूर थी, 
अब वो अपनों पैरों पर खड़े होने के जूनून में रहेगी, 
वह नारी है जो आज सब पर भारी हैँ |

बनकर वह दुर्गा का रूप सारे दुख हर लेगी, 
शक्ति का स्वरूप हैँ,  वो अपने अपको कभी न भूलेगी, 
वह नारी है जो आज सब पर भारी हैँ |

अपनों सपनों की एक खूबसूरत  माला  बना लेगी,  
अब अपने अरमानो का गला नहीं घुटने देगी वो, 
पंख लिये वह अपनों सपनों की ओर उड़ जायेगी, 
अपनी पतंग को चारों तरफ वो उड़ाएगी, 
वह नारी है जो आज सब पर भारी हैँ |
   

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9 Comments

Seema Priyadarshini sahay

06-Jun-2022 11:57 AM

बेहतरीन रचना

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MEETU CHOPRA

08-Jun-2022 07:49 PM

Shukriya

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Saba Rahman

05-Jun-2022 11:17 PM

Nyc

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MEETU CHOPRA

08-Jun-2022 07:50 PM

Ty💞

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Shnaya

05-Jun-2022 07:36 PM

बेहतरीन

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