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मेरे घर की रौनक -लेखनी प्रतियोगिता -04-Jun-2022

मेरे घर की रौनक मेरे प्यारे दो बच्चे हैं
हैं तो बड़े शैतान, पर दिल के सच्चे हैं।

करके शरारत दिन-रात मुझे सताते हैं
एक पल भी दूर न मुझसे रह पाते हैं।

वे मुझे मेरे बचपन की याद दिलाते हैं
माँ की ममता का अहसास दिलाते हैं।

उनका गले से लगना सुकून दे जाता है
माँ कहना चेहरे की रौनक बढ़ाता है।

उनकी हर हरकत घर में रौनक लाती है
हो जाएँ बीमार तो मायूसी सताती है।

उनकी अठखेलियाँ चार चाँद लगाती हैं
उनकी हँसी त्यौहार सी रौनक लाती है।

मेरे जीवन की वे ही सच्ची दौलत हैं
उनसे जीवन में जन्नत सी रौनक है।

मेरा जीवन लगे उन बिन निस्सार है
बच्चों से जीवन में प्यार ही प्यार है।

साँसों की डोर मानो उनसे ही जोड़ी हो 
जियूँ संग उनके चाहें साँसे थोड़ी हों।

डॉ. अर्पिता अग्रवाल

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15 Comments

Seema Priyadarshini sahay

06-Jun-2022 12:06 PM

बेहतरीन रचना

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Saba Rahman

05-Jun-2022 11:12 PM

Osm

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Shnaya

05-Jun-2022 01:45 PM

👏👌🙏🏻

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