रिश्तों की राजनीति- भाग 9
भाग 9
न अभिजीत को, न उसके आई-बाबा को ज़रा सी भी भनक नहीं होती सान्वी की जिंदगी में आए इस नए बदलाव के बारे में। उनके लिए तो वो अभी भी छोटी सी सान्वी ही थी,हर बात में उनकी सहमति लेने वाली। वक़्त के साथ बच्चे बड़े हो जाते हैं, उनकी सोच बदल जाती है, लेकिन माता पिता यह स्वीकार ही नहीं कर पाते। उनके लिए बच्चे हमेशा छोटे ही रहते हैं। सान्वी भी बदल चुकी थी, वो अब बातें छुपाने लगी थी, घर में सबसे झूठ बोलने लगी थी।
लाइब्रेरी में अक्षय और सान्वी एक दूसरे को देखकर खुश हो लेते थे, आँखों ही आँखों में उनकी बातें होने लगी थीं। उनकी रात एक दूसरे को गुड नाईट कहे बिना शुरू नहीं होती थी। महीने में दो-तीन बार दोनों बाहर मिलने लगे थे। एक दूसरे के साथ वक़्त बिताने लगे थे। अक्षय के साथ महंगी जगहों पर जाना, बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमना सान्वी को रास आने लगा था। अक्षय और सान्वी का रिश्ता धीरे-धीरे आगे बढ़ता जा रहा था।
सान्वी अक्षय के प्यार में इतनी डूब चुकी थी कि पढ़ाई से उसका नाता छूटने लगा था। जिंदगी में कुछ बनने की चाह खत्म हो रही थी। उसे लगने लगा था पढ़ाई में दिमाग लगाने की अब क्या जरूरत है, जब अक्षय से शादी के बाद वो करोड़ों की मालकिन होने वाली है। जहाँ अभिजीत ने फाइनल इयर में टॉप किया था, वहीं सान्वी बस पचास प्रतिशत के साथ जैसे-तैसे पास हुई थी।
इस बात के लिए अभिजीत से उसे डाँट भी पड़ी थी।
उसने जब सान्वी से खराब परिणाम का कारण जानना चाहा तो उसने टका सा जवाब दे दिया….. क्या उखाड़ लूंगी दादा मैं फर्स्ट डिवीज़न लाकर भी, बनानी तो मुझे भाकरी-भाजी ही है। चाहे जितना मर्जी कमा लूँ, लेकिन घर के कामों से तो मुझे छुटकारा मिलने से रहा। वैसे भी पचास प्रतिशत इतने बुरे भी नहीं है, सेकंड इयर में परिणाम सुधार लूंगी। आप चिंता मत करो। इतना कहकर सान्वी कान में एअर पॉड लगाती है और गाने सुनने लगती है।
अभिजीत को सान्वी का यह रवैया परेशान कर रहा था। आई बाबा की वो लाडली थी, उन्होंने परिणाम के बारे में ज़्यादा कुछ कहा नहीं। उल्टा उसे समझाने के, आई अभिजीत को ही समझाने लगी….बड़ी हो गयी है सान्वी, छोटी नहीं रही, इतना डाँट-डपटकर बात करना ठीक नहीं और वैसे भी ठीक ही तो कह रही है कि लड़की कितना ही पढ़ लिखकर कमा ले, शादी के बाद धोने तो बर्तन ही पड़ते हैं। बी.ए खत्म होने के बाद ही उसकी शादी कर देंगे, हाँ लेकिन और आगे पढ़ना चाहेगी तो हम उसे रोकेंगे भी नहीं।
अभिजीत ने आई से कुछ कहा नहीं, चुपचाप हाँ में हाँ मिलायी और घर से निकल गया। रास्ते में चलते-चलते भी उसके दिमाग में सान्वी का ही ख्याल घूम रहा था। वो मन ही मन सोच रहा था उसकी बहन ऐसी तो नहीं थी, अचानक से कैसे इतना बदल गयी।
सान्वी के इस बदले हुए रूप के पीछे कुछ न कुछ कारण तो जरूर होगा। सान्वी से पूछने का कोई फायदा नहीं क्योंकि सही जवाब की उम्मीद करना उससे बेकार है। सान्वी से पूछने से बेहतर है कि इस बारे में उसकी सहेली रिया से बात की जाए।
अभिजीत रिया को फोन करता है और बाहर मिलने के लिए बुलाता है। कुछ ही देर बाद रिया अभिजीत से मिलने बाहर आती है।
अभिजीत रिया से कहता है….सॉरी रिया तुम्हें इस वक़्त बाहर मिलने के लिए बुलाया, बात ही कुछ ऐसी थी कि घर में आकर बात करना ठीक नहीं था।
रिया बिना कोई भूमिका बाँधे सीधा मुद्दे की बात पर आती है और कहती है…..दादा आप सान्वी के बारे में बात करना चाहते हैं क्या?
हाँ रिया…..
दादा मेरे और उसके बीच अब पहले जैसी दोस्ती नहीं रही। हम बस साथ आते जाते हैं कॉलेज। बाकी की सारी बातें आप सान्वी से खुद पूछ लेंगे तो बेहतर रहेगा।
उससे तो मैं पूछ ही लूँगा, लेकिन उससे कोई सवाल करने से पहले मैं तुमसे सारा सच जानना चाहता हूँ। क्या बात है रिया, मुझे सच-सच बताओ, यह सान्वी के भविष्य का सवाल है।
दादा वो एम एल ए जगताप पाटिल के बेटे अक्षय पाटिल के प्यार में फंस चुकी है। मैंने उसे समझाने की कोशिश की, धमकी भी दी कि मैं आपको उसका सच बता दूँगी। यह सुनकर वो कुछ दिनों तक तो शांत हो गयी थी लेकिन बाद में फिर वो उसी राह पर चलने लगी।
मैंने तो उन्हें कभी कॉलेज में साथ नहीं देखा।
दादा वो कभी कॉलेज में बात नहीं करते। खैर अब वो मुझसे अपनी व्यक्तिगत बातें नहीं करती है, इसलिए इस बारे में मुझे कुछ ज्यादा पता नहीं है। लेकिन उसमें आयी तब्दीली को देखकर लगता है कि वो अभी भी उसके सम्पर्क में है। अब सान्वी पहले जैसी मासूम नहीं रही, उसके बर्ताव में काफी बदलाव आ गया है।
ठीक है रिया, मैं इस मामले को अपनी तरह से सुलझाने की कोशिश करता हूँ। तुम सान्वी से हमारी बातचीत के बारे में कोई बात मत करना।
इस बारे में आप बेफिक्र रहिये।
अभिजीत रिया का शुक्रिया अदा करके अपने काम के लिए निकल जाता है।
घर आकर देखता है कि सान्वी अपने फोन में मस्त होती है। अभिजीत पर नज़र जाते ही वो झट से फोन साइड में रख देती और उसके लिए पानी ले आती है। वो पानी पीने के बाद सान्वी से पूछता है कि वो किससे बात कर रही थी?
एक दोस्त से…..
नाम जान सकता हूँ उस दोस्त का…
सान्वी बिना कोई जवाब दिए अपने कमरे की तरफ जाने लगती है।
उसका ऐसा रवैया देखकर अभिजीत का पारा चढ़ने लगता है, डाँट लगाने ही वाला होता है कि आई बाबा की मौजूदगी का ध्यान आते ही चुप हो जाता है।
वो मन ही मन फैसला लेता है कि कल से वो सान्वी को कॉलेज छोड़ने भी जायेगा और लेने भी।
❤सोनिया जाधव
Kaushalya Rani
08-Jun-2022 05:28 PM
Nice part👌👌
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Joseph Davis
07-Jun-2022 11:12 PM
Awsm
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Sona shayari
07-Jun-2022 08:17 AM
Nice
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