लेखनी प्रतियोगिता -06-Jun-2022 थैली हूं मैं ,थैली हूं
रचयिता-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक- थैली हूं मैं, थैली हूं
थैली हूं मैं, थैली हूं।
चारों तरफ फैली हूं।।
हर क्षेत्र में है मेरा वास।
हर जगह है मेरा काम।।
थैली हूं मैं, थैली हूं।
चारों तरफ फैली हूं।।
घर, दुकानों में होता काम।
सब डालते मुझ में सामान।।
थैली हूं मैं, थैली हूं।
चारों तरफ फैली हूं।।
होते मेरे अनेक रंग।
बढ़ती है मेरी शोभा।
थैली हूं मैं, थैली हूं।
चारों तरफ फैली हूं।।
प्लास्टिक, कपड़ा या कागज।
विभिन्न नामों का है भंडार।।
थैली हूं मैं , थैली हूं।
चारों तरफ फैली हूं।।
करती हूं मैं ऐलान।
मैं हूं उनकी मेहमान।।
थैली हूं मैं, थैली हूं।
चारों तरफ फैली हूं।।
गरीब हो या अमीर जब करते सफर।
मैं होती उनकी हमसफर।।
थैली हूं मैं, थैली हूं।
चारों तरफ फैली हूं।।
होती मेरी ऐसी पहचान।
सब लिखते मुझ पर अपने नाम।।
थैली हूं मैं, थैली हूं।
चारों तरफ फैली हूं।।
कहलाते हैं वह दुकानदार।
पर मैं होती उनकी मालिक।।
थैली हूं मैं, थैली हूं।
चारों तरफ फैली हूं।।
हर जगह का हूं हिस्सा।
हर तरफ है मेरा किस्सा।।
थैली हूं मैं, थैली हूं।
चारों तरफ फैली हूं।।
है मेरी ऐसी दोस्ती।
सबके चित मे ,मै मिल जाती।।
थैली हूं मैं, थैली हूं।
चारों तरफ फैली हूं।।
सब्जी या किराना, सब है मेरे साथी।
पल भर भी मेरे बिना नहीं जाती।।
थैली हूं मैं ,थैली हूं।
चारों तरफ फैली हूं।।
रंग बिरंगी लिफाफो से बनी हूं मैं लाजवाब।
सबको लगती हूं मैं ,बहुत शानदार।।
थैली हूं मैं, थैली हूं।
चारों तरफ फैली हूं।।
हर रूप है थैली के आज।
भारत बना है इसका गुलजार।।
थैली हूं मैं ,थैली हूं।
चारों तरफ फैली हूं।।
Kaushalya Rani
08-Jun-2022 05:18 PM
Nice
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Joseph Davis
07-Jun-2022 11:05 PM
Nyc
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Reyaan
07-Jun-2022 08:24 PM
शानदार
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