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मुस्कान

मुस्कान
                                 ✍️श्याम सुन्दर बंसल 


सुनो तुम न हँसती रहा करो काफी प्यारी लगती हो 
कोई जन्नत से आई  हूर  लगती हो 
तारिफ ही क्या करूं तुम्हारी 
तुम तो खुदा की बरसाई नूर लगती हो। 

कभी देखना मत शीशे में  खुद को 
शीशा कही शर्मा न जाए
तुम्हारी मुस्कान के सामने 
कही शीशा फीका  न पड़ जाए ।

सुनो ज्यादा हँसा मत करो
तुमको किसी की नजर न लग जाए
तुम्हारे करिबी बन कर कोई
तुम्हारे दिल के साथ खेल न जाए। 

तुमको बीन देखे दिन की शुरुआत  होती नहीं 
तुमसे बाते किए बीन होंठों पर मुस्कान आती नही 
सुनो मुझसे कभी दुर तो न जाओगी
क्योंकि तुम्हारे बिना अब तो श्वासे भी आती नहीं।

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9 Comments

Aliya khan

21-Jul-2021 07:39 AM

बेहतरीन

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Ravi Goyal

19-Jul-2021 11:03 PM

Bahut khoobsurat 👌👌

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🤫

19-Jul-2021 08:44 PM

नाइस....!

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