वीरान हवेली
रात के 8 बज रहे थे,बारिश रुक रुक कर हो रही थी।अचानक किसी ने दरवाजा खटखटाया ।विनीत के नौकर ने दरवाजा खोला ,सामने एक बुजुर्ग ,चेहरे की झुर्रियों में भी तेज झलक रहा था, फटे पुराने वस्त्र पहने खड़ा था,शायद किसी दूर गांव से आया था।
उसने बुजुर्ग से पूछा ,_क्या बात है ,बाबा ।
बुजुर्ग ने कहा _डॉक्टर साहब हैं क्या?
तब तक विनीत अंदर से निकल कर आया ।बुजुर्ग ने कहा _डॉक्टर साहब जल्दी चलिए मेरी पत्नी बीमार है ,उसे इलाज की सख्त जरूरत है।वह लगभग गिड़गिड़ा रहा था।
वैसे विनीत रात में कहीं इमरजेंसी में नहीं जाता था ,लेकिन बुजुर्ग को देख वह तैयार हो गया।
नौकर ने कार निकाली ,विनीत अंदर से छाता लेकर आया।
वो बुजुर्ग उसे रास्ता बताता गया,और अंत में वे एक हवेली के पास रुके।
विनीत ने देखा ,एक बड़ी सी हवेली थी।लेकिन आज पास पूरा बीरान था। बारिश के कारण बिजली नदारद थी ।
विनीत ने कहा _बाबा इतने सुनसान में?? , आपलोगों को डर नहीं लगता।
उस बुजुर्ग ने जवाब दिया ,पहले यहां बहुत सारे घर थे ,लेकिन अचानक कुछ ऐसा हुआ जिससे यहां के लोगों को सबकुछ छोड़ जाना पड़ा।पर हमें अपनी हवेली प्यारी थी ,इसलिए हम इसे छोड़ नहीं जा पाए।
विनीत के पास प्रश्न तो बहुत थे ,लेकिन मौका और दस्तूर इसकी इजाजत नहीं दे रहे थे।
मोबाइल की रोशनी जला कर विनीत ,उस बुजुर्ग के साथ हवेली में दाखिल हुआ।
वह बुजुर्ग एक कमरे में ले गया ,लैंप की मद्धिम रोशनी में उसने पलंग पर किसी को लेटा देखा , कराहने की आवाज से यह तो स्पष्ट हुआ कि यह कोई महिला ही है।
वह बुजुर्ग ,,महिला के पास गया ,उसने कहा _डॉक्टर साहब आ गए हैं,अब वो तुम्हें देख दवाई दे देंगे ,तुम ठीक हो जाएगी।
विनीत पलंग के नजदीक आ गया,रोशनी हल्की होने के कारण महिला का पूरा चेहरा स्पष्ट नहीं दिखा।उसने नब्ज देखी,काफी तेज थी।शरीर भी गरम था।विनीत ने थर्मामीटर लगा कर उसका बुखार चेक किया तो बुखार 104 था।उसने बुजुर्ग को कुछ दवाइयां लिख कर दीं ,क्योंकि रात के 10बज चुके थे ,मेडिकल स्टोर बंद हो गया होगा इसलिए उसने कहा,ये दवाइयां तीन दिन मेडिकल स्टोर से खरीद कर खिला दीजियेगा और ,उस समय के लिए उसने अपने किट से दवाई निकाल कर खिला दिया।
अब विनीत कल फिर से आकर देखने को कह कर जाने लगा,तो उस बुजुर्ग ने कहा ,डॉक्टर साहब आपकी फीस,।
और इतना कहते हुए उसने कुछ सिक्के विनीत के हाथ में पकड़ा दिए।
विनीत लेना नहीं चाहता था ,उसने कहा_बाबा आप पिता समान हैं ,मुझे आशीर्वाद दीजिए ,मुझे पैसों की आवश्यकता नहीं ।
उस बुजुर्ग ने कहा_मैं मदद के लिए कई जगह गया ,इस बारिश और मेरी गरीबी को आंक, कोई भी मेरी पत्नी को देखने को तैयार नहीं हुआ,एक तुम्ही थे बेटा जिसने किसी बात की परवाह किए बिना ,मेरी सहायता की,ईश्वर की कृपा तुम पर सदैव बनी रहे।
विनीत घर लौट कर आया, वो काफी थक चुका था ,नौकर ने खाना गर्म कर टेबल पर लगा दिया,खाना खा कर वह सो गया।
अगली सुबह नौकर ने उसके पतलून धुलने के लिए जेब की तलाशी ,तो उसमें से सिक्के निकले जिसे कल उस बुजुर्ग ने विनीत को दिया था।
वह हड़बड़ा कर जोर से चिल्लाया _मालिक आपकी जेब से सोने के मुहर मिले हैं।
विनीत मुस्कुराते हुए बोला _सोने के मुहर कहां से आ जायेंगे,सुबह सुबह भांग तो नहीं पी लिया तुमने।
नौकर दौड़ा दौड़ा विनीत के करीब पहुंचा,और मुहर उसके हाथों में रख दिया।
विनीत की आंखें आश्चर्य से फटी की फटी रह गईं।एक गरीब सा दिखने वाला व्यक्ति ,जिसे उसने हवेली की देखभाल करने वाला समझा था ,वो सोने की मुहर देगा।
खैर सत्य यही था कि उसके हाथ में 5 सोने के मुहर थे,जो काफी पुराने प्रतीत हो रहे थे।
बहुत देर तक वह उहापोह की स्थिति में ही फंसा रहा। फिर ध्यान आया कि, कल अंधेरे में ठीक से देख नहीं पाया था,अभी चल कर मरीज देख लूं कि वो बुजुर्ग महिला कैसी है?
उस दिन की सारी अपॉइंटमेंट उसने कैंसल करवा दी,और निकल गया उस हवेली की ओर,जहां वह रात को गया था।
कुछ कुछ रास्ता उसे याद था ।वह उस जगह पर पहुंचा , जहां वह बुजुर्ग उसे ले आया था।
वहां आलीशान हवेली के स्थान पर हवेली के भग्न अवशेष दिखाई पड़े।
विनीत का दिमाग चकराने लगा ,उसने अपना माथा पीट लिया ,दिल ,दिमाग मानने से इंकार कर रहा था कि ,कल जो उसके साथ हुआ वो एक सपना था , लेकिन हकीकत का प्रमाण चीख चीख कर उसे मिली सोने की मुहर दे रही थी।
वह कुछ आगे बढ़ा ,कुछ दूरी पर एक गांव था ,वह गाड़ी से उतरा ,और वहां कुछ लोग पेड़ के नीचे बैठे गप्पे मार रहे थे।विनीत ने उसमें से एक व्यक्ति से पूछा _क्या यहां आस पास कोई हवेली है ??
उस व्यक्ति ने उसे घूर कर देखा ,और कहा भैया ये एक गांव है ,और इधर तो कोई हवेली है,इसका तो हमें पता नहीं।
विनीत ने कहा ,मुझे अच्छी तरह याद है कि यहीं कुछ दूरी पर एक हवेली थी,वहां कल मैं आया था।
सबलोग एक दूसरे को देखने लगे,और फिर एक साथ हंसने लगे।
एक ने कहा _बाबू आपने कल किसी नशे वाली चीज का तो सेवन तो नहीं किया था।
विनीत को बहुत बुरा लग रहा था,वह उन लोगों के मजाक से खीज उठा,परंतु वह सत्य का पता लगाना चाहता था,ऐसे में उसके पास एक ही प्रमाण था ,वो सोने की मुहर।
उसने जेब में से एक मुहर निकाली ,और सबके आगे रख दिया ,और कहा अब इसके बारे में आप सभी कुछ कहना चाहेंगे।
तभी एक बुजुर्ग जो बहुत देर से गंभीर हो उनकी बातें सुन रहा था,उसने लपक कर वह मुहर अपने हाथ में लिया,उलट पलट कर देखा और विनीत को लौटाते हुए सभी से कहा_ये साहब सही कह रहे हैं ,मेरे दादा जी ने एक हवेली के बारे में मुझे बताया था ,जो ठाकुर साहब की हवेली के नाम से विख्यात थी।
ठाकुर यशवंत सिंह गांव के बड़े जमींदार थे।
उस समय भारत पर अंग्रेजों का शासन था ।
सभी जमींदार अंग्रेजों को लगान देते थे,इसके लिए उन्हें मौसम के मारे ,गरीब किसानों को लगान देने के लिए बाध्य करना पड़ता ,वो समय था, जब देश में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जनता भी विद्रोह करने लगी थी,क्रांतिकारी विचारधारा से लबरेज ठाकुर यशवंत सिंह ने अंग्रेजों को लगान देने को मना कर दिया ,इसका परिणाम अंग्रजों ने जुल्म ढाना शुरू कर दिया।
यशवंत सिंह ने युवा ग्रामवासियों को बटोर एक सेना बनाई और असलहों की आपूर्ति क्रांतिकारियों ने की। ,जिससे उन्होंने अंग्रजों पर हमला किया ,बहुत अंग्रेज मारे गए।
लेकिन उन्हें अपना परिणाम पता था,वे मुट्ठी भर लोग ,और कहां आधुनिक हथियारों से लैस अंग्रेज ,एक न एक एक दिन वीरगति पानी ही है,लेकिन मातृभूमि और अपने स्वाभिमान के लिए मरना अच्छा था उनके लिए।
आखिर एक दिन बहुत सारे सिपाहियों की टुकड़ी लेकर अंग्रेज आए और उनसे लोहा लेते यशवंत सिंह शहीद हो गए,उस समय उनकी पत्नी बहुत बीमार थी,उनकी मौत की खबर सुन वो बेहाल हो गईं , न उनकी जान निकल रही थी ,न ही जी पा रही थी।अतृप्त इच्छा के साथ एक दिन उनका निधन हुआ था।
तब से वह हवेली वीरान थी, काल और जलवायु के थपेड़ों ने धीरे धीरे उसे जर्जर कर दिया ,और आज उसके बस अंश ही बचे हैं।इसलिए अब यहां लोग हवेली के बारे में नहीं जानते।
बात बढ़ाते हुए ,उस बुजुर्ग ने कहा _अगर यह मुहर तुम्हें उस हवेली से प्राप्त हुई है , तो समझो कल का दिन उस आत्मा का मुक्ति का दिन था ।
विनीत ने आजतक इन सबके बारे में किताबों में ही पढ़ा था ,कल उसके साथ घटित भी हुआ ।उसे सुखद आश्चर्य था, कि सदियों से भटकती आत्मा को मुक्ति उसके हाथों मिली,ये उसका सौभाग्य था।
समाप्त
Abhinav ji
10-Jun-2022 12:59 AM
Very nice👍
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Punam verma
10-Jun-2022 12:44 AM
Nice
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Naresh Sharma "Pachauri"
09-Jun-2022 06:50 PM
अति सुन्दर
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