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मर्डर एक प्रेम कहानी (सीजन-3) ep- 3

हैप्पी न्यू ईयर
1 जनवरी

हर तरफ नया साल का उत्सव था। राज सुबह सुबह पी जे ज्वेलर  के बाहर जाकर खड़ा हो गया और शो रूम के खुलने का इंतजार करने लगा, ताकि जैसे वो शोरूम खुले वो कल शाम करीब चार बजे उस स्टोर से निकली हुई लड़की के बारे में पता कर सके जो उसे देखने मे दिव्या ही लगी थी।

थोड़ी ही देर में शोरूम खुला तो राज अंदर घुस गया।

राज- एक्सक्यूजमी……सर

प्रकाश (शोरूम ओनर) - जी! कहिए।
राज- (थोड़ी संकोच में) अक्चुली…मुझे एक हेल्प चाहिए आपकी….अगर आप थोड़ी मदद कर देते तो……
प्रकाश- आप बताइए मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ।
राज- कल शाम को करीब चार बजे आपके शॉप से एक लड़की निकली थी, मैं एक बार उसकी डिटेल्स जानना चाहता हूँ।
प्रकाश-  सॉरी, लेकिन किसी कस्टमर की कोई डिटेल्स मैं आपको नही दे सकता।
राज- प्लीज….मैं एक बार फिर से देखना चाहता हूँ कि वो लड़की सच मे वो थी जो मुझे दिखी या बस मुझे बहम हुआ था।
प्रकाश- आपको पहले भी कही देखा है मैंने , मुझे ऐसा कुछ लग रहा है।
राज- जी देखा होगा, लेकिन एक बार प्लीज मुझे कल की फुटेज दिखा दीजिए, मैं कल से बहुत परेशान हूँ।
प्रकाश- अगर मैं गलत नही हूँ तो आप राज सर है,
राज- अगर मैं राज हूँ तो क्या मेरी हेल्प कर दोगे।
प्रकाश- हमशक्ल तो हो नही सकते….लेकिन ये कैसे पॉसिबल है, इंडिया का बेस्ट सिंगर आज सुबह सुबह हमारी दुकान पर……वॉव"
राज- मैं सुबह सुबह क्यो आया हूँ यही बताने की कोशिश कर रहा हूँ, प्लीज मेरे भाई सुन लो मेरी बात और थोड़ी सी मदद कर दो।
प्रकाश - थोड़ी क्यो? जितना मेरे से हो सकता है उतना करुंगा सर….(प्रकाश खुश होते हुए बोला)

राज की बात सुनकर उसने कल की कैमरा फुटेज निकाली और राज को दिखाई, राज ने वीडियो देखी तो वो लड़की कोई नेटलेस पसंद करके गयी थी। और  प्रकाश ने बताया की वो कुछ दिन बाद उसे खरीदने आएगी। हर एंगल से दिव्या थी, बालो का स्टाइल, बात करते समय उसके हाव भाव, और उसके बात बात पर मुस्कराने की आदत, सब दिव्या जैसी थी।

प्रकाश- नाम आकांक्षा, पंचकूला सेक्टर 14 (प्रकाश ने एड्रेश बताया।)

राज- हाउस नम्बर……??
प्रकाश- #99/2
राज- वो नेटलेस लेकर नही गयी लेकिन उसे पसंद बहुत था, सही कह रहा हूँ ना।
प्रकाश- हाँ….
राज- आप एक काम करो, इसे पैक कर दो….और बिल उसी के नाम का काटना , पेमेंट मेरे से ले लो।

(प्रकाश ने नेटलेस पैक कर दिया और राज को पकड़ाया)

प्रकाश- ये हमारी तरफ से आपको गिफ्ट दिया जा सकता है अगर आप….मतलब किसी वीडियो में लोगो को हमारे दुकान पर….समझ रहे हो ना
राज- (हँसते हुए) एडवरटाइजिंग करना चाहते हो।  जितनी हेल्प आपने मेरी की है, मैं इस नेटलेस कि पूरी किम्मत देकर भी ये काम कर दूंगा, बस एक बार मुझे उस लड़की से मिलना है। आप पैसे बोलो कितने हुए।

प्रकाश- अरे नही नही! ऐसी कोई बात नही है। आपके पास पैसे की कमी थोड़ी ही है, लेकिन मेरी तरफ से तोहफा है, प्लीज….मना मत कीजिये।
राज- तोहफा लेने से तो मैं भी मना नही करूँगा, अभी मैं चलता हूँ, फिर मिलूंगा, जब भी कोई ज्वेलर खरीदना होगा, यही आऊँगा, हर बार तोहफा नही लूँगा आपसे……थेँक्स फ़ॉर हेल्प….मेरे लिए तोहफे से ज्यादा किम्मति है वो मदद जो आपने की है।
(राज ने प्रकाश से हाथ मिलाया और विदाई लेकर निकल पड़ा, पंचकूला की तरफ, )

उसके जाने के बाद
नीतीश(मैनेजर) - ये क्या किया सर आपने……पांच लाख का सेट था वो, ऐसे ही दे दिया।
प्रकाश- बेटा लोग दस दस लाख रुपये स्पोंसर पर खर्च करते है, अब देखना सिर्फ पांच लाख में कितना फायदा होगा….उसकी एक वीडियो को मिलियन्स व्यू मिलते है, चार पांच हजार लोग भी चण्डीगढ़ के उस वीडियो को देखेंगे तो सौ दो सौ कस्टमर तो आएंगे ही ।
नीतीश- अच्छा, अब समझा कि आपने तोहफा कैसे दे दिया….कभी सैलरी तो……. (कहते हुए रुक गया और प्रकाश की तरफ देखा , प्रकाश गुस्से भरी नजर से नीतीश को घूर रहा था। नीतीश ने नजर झुका ली।)

प्रकाश- (गुस्से वाले भाव को बदलकर अचानक ही हँसते हुए)- चल ठीक है, इस बार सोचता हूँ तेरा भी।

प्रकाश को हंसता देखकर नीतीश भी मुस्करा उठा।

दूसरी तरफ
नवी मुंबई, राज-घराना (राज का घर)

शिला ने कल रात भर राज को फोन नही किया, सिर्फ इसलिए क्योकि वो जानती थी कि राज का थेर्टी फर्स्ट डे का प्रोग्राम है, और रात को देर तक उठने के बाद सुबह दस बजे से पहले राज उठ जाए ये कभी हो नही सकता था। लेकिन शिला तो नए साल की नई शुरुआत सबसे पहले राज को विश् करके करना चाहती थी। शादी को तीन साल हो गए थे आज तक हर साल सबसे पहले राज ही फोन करता और  न्यू ईयर की शुभकामनाएं देता था। आज उसका फोन नही आया तो शिला ने खुद फोन करने की सोची।

शिला- पता नही उठे भी है या नही, पक्का भूल गए होंगे , उन्हें याद रहता है तो बस अपना प्रोग्राम….बीवी को भूल जाते है हमेशा।

खुद से कहते हुए शिला अपने कमरे में गयी और फोन उठा लायी।

📞ट्रिंग ट्रिंग………

पूरी घंटी गयी लेकिन राज ने फोन नही उठाया।
शिला भी एक बार कॉल करती थी, उसे पता था कि जब राज को मिस्डकॉल नजर आएगी वो खुद कर लेंगे फोन।

चण्डीगढ़

राज चण्डीगढ़ से पंचकूला की तरफ जा रहा था। वीडियो में भी दिव्या को देखकर राज का शक यकीन में बदल गया। लेकिन उसने अपना नाम आकांक्षा क्यो बताया, और वो अपने घर के होते हुए वो पंचकूला में क्यो रहती है, ऐसे बहुत सारे सवाल राज को कचौट रहे थे।

राज- कहीं उसकी शादी तो नही हो गई….ह्म्म्म शायद उसकी शादी हो गयी होगी….लेकिन दिव्या अगर जिंदा है तो उनके जिंदा होने की खबर किसी के पास क्यो नही है। और वो अपनी पहचान बदलकर क्यो रह रही है।
(राज कुछ ना कुछ सोचे जा रहा था।)

थोड़ी ही देर में राज आकांक्षा के घर पहुंचा। और दरवाजे की घंटी बजाकर इंतजार करने लगा दरवाजा खुलने का।

थोड़ी देर में दरवाजा खुला तो सामने दिव्या को खड़ा देखकर राज के चेहरे में एक अनछुई सी खुशी तैरने लगी, राज बिना कुछ कहे देख रहा था और तसल्ली कर रहा था कि सच मे दिव्या ही है या कोई और।

आकांक्षा(दिव्या)- अरे, आप! आइये ना……
राज- थेँक्स….(अंदर आता है)
आकांक्षा- (खुश होए हुए) मुझे यकीन ही नही हो रहा कि आप यहां आ गए,
राज- एक जरुरी बात करनी थी आपसे,
आकांक्षा- (एक उत्सुकता भरी खुशी के साथ)  जी पहले बैठिए, फिर बात कीजिये, एक नही दो चार बोलिये, आप नही जानते मैं कितना खुश हूं आपसे मिलकर, वो भी मेरे घर पर।
राज- मैं राज हूँ, तुमने पहचाना मुझे।
आकांक्षा- क्यो नही पहचानूंगी….कल हजार रुपये खर्च करके , क्लब के पास बनाकर सुनने आई , आज आप यहां आ गए तो भूल जाऊंगी क्या??
राज- तुम भी आई थी वहाँ?
आकांक्षा- हाँ….लेकिन आप बहुत परेशान थे, एक गाना गाकर खिसक गये, क्या हो गया था आपको
राज- मैं तब भी तुमसे ही मिलने के लिए निकल आया था, और आपके घर गया था, 7 सेक्टर….लेकिन ये सब क्या है दिव्या….घर चेंज, नाम चेंज….और कहां थे सात साल से……और तुम……तुम्हे तो राजीव ने मार दिया था
आकांक्षा- कौन दिव्या। मैं दिव्या नही हूँ, मैं आकांक्षा हूँ,
राज- ऐसा कैसे हो सकता है, क्या तुम अपने राज को भूल  गई।
आकांक्षा- मैं आपको सिर्फ सिंगर होने की वजह से पहचानती हूँ, बाकी सच कहूं तो मुझे खुद की नही याद….और आप सात साल पहले की बात मत ही करो……मैं भगवान से हमेशा यही प्रार्थना करती हूँ कि वमुझे याद ना ही आये तो बेहतर है, अच्छा ही है कि मेरी यादाश्त मेरे साथ नही है,
राज- लेकिन मुझे देखकर तो कुछ याद करो, क्या अब भी तुम्हे कुछ याद नही आ रहा।
आकांक्षा- हहहह….आपको तो पिछले तीन साल से फॉलो कर रही हूँ, आपका गाया हर सोंग बेमिसाल होता है, मैं अक्सर सुनती रहती हूँ, आज तो आमने सामने देखा आपको, वैसे तो बहुत पहले देख लिया।
राज- लेकिन तुम्हारी यादाश्त गयी कैसे।
आकांक्षा- मुझे कुछ नही याद, मेरी तरफ से मैं हॉस्पिटल में सीधे अठाइस (28) साल की पैदा हुई हूं। और प्लीज मुझे और याद दिलाने की कोशिश मत करो, पहले भी कुछ लोग मुझे देखकर चौक जाते थे चण्डीगढ़, एक दो लोगो ने याद दिलाने की कोशिश भी की, लेकिन मैं नही चाहती कि मुझे याद आये।
राज- लेकिन क्यो?? क्यो तुम कुछ याद करना नही चाहती।
आकांक्षा- क्योकि मैं हमेशा से अकेली थी, कोई नही था मेरे पास जब मैं कोमा से बाहर आई। डॉक्टर ने बताया कि तुम लावारिश मिली हमे, हमने मरते मरते जिंदा किया है तुम्हे….अगर मुझे सब याद आ गया तो ना जाने कितने लोगों से नफरत हो जाएगी मुझे… उससे अच्छा तो अभी है ना….ना कोई दुश्मन ना कोई दोस्त….खाओ पियो मजे करो।
राज- लेकिन उस दिन मैंने खुद देखा था, तुम्हारी नब्ज नापी थी, तुम्हारे सीने पर सिर रखकर तुम्हारी धड़कन सुनने की कोशिश की थी….और तुम्हारे कातिल को जिंदा भी मार आया था। सुबह पुलिस ने भी पोस्टमार्टम किया था।
आकांक्षा- मुझे नही पता क्या क्या हुआ, शायद आपको गलत फहमी हो गयी है, अगर दिव्या मर चुकी थी तो मैं दिव्या कैसे हो सकती हूँ।
राज- राजीव भी तो मर चुका था, लेकिन चार साल बाद वो भी तो लौट आया था। जरूर ये कोई चमत्कार हुआ है, भगवान भी मेरी दिव्या को मुझसे दूर नही करना चाहता था।
आकांक्षा- प्लीज सर, ऐसी स्टुपिड सी बातें मत कीजिये, मुझे अपनी सेवा का मौका दीजिए….कहिए आप क्या पीते है चाय, कॉफी , ग्रीन टी….
राज- जो आपको हो पसंद वही पिला दो
आकांक्षा- कॉफी….ओक्के……

(आकांक्षा किचन की तरफ चली जाती है)

राज मन ही मन सोचता है- ये कैसे हो सकता है, दिव्या……थेँक्स गॉड….प्लीज इसे एक बार सब याद आ जाये….

आकांक्षा कॉफी बनाने लगी और राज बाहर हॉल में बैठे उसका इंतजार करने लगा, और साथ ही सोचने लगा वो आखिरी पल, जब उसने उसके बर्थडे पर अकेले छोड़ा था और बाद में वापस आने पर उसे मरा हुआ पाया था। और आज उसके सामने ये सच्चाई आई थी कि उस दिन वो मरी नही थी, किसी हॉस्पिटल में कोमा में पड़ी थी। और अगर ये बात सच है तो सुबह किसकी लाश का पोस्टमार्टम हुआ, किसकी लाश का अंतिम संस्कार किया गया, और वो कौन था जिसने दिव्या की जगह किसी और को रख दिया था। ऐसे बहुत सारे सवाल राज को परेशान किये जा रहे थे।

कहानी जारी है


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6 Comments

Seema Priyadarshini sahay

15-Jun-2022 07:06 PM

बेहतरीन भाग

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नंदिता राय

14-Jun-2022 06:29 PM

बेहतरीन भाग

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Naresh Sharma "Pachauri"

14-Jun-2022 10:43 AM

अति सुन्दर

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