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दुल्हन

उसकी आँखें भी शेर कहती है,

उसकी बातें भी शेर कहती है।

शाम उसके ही गीत गाती है,
और सर्द रातें भी शेर कहती है।

उसके होंठों को यक़ज़ा छूकरके,
फिर हवायें भी शेर कहती हैं।

जब भी शरमा के झुक जाये,
हाय वो पलकें भी शेर कहती है।

उसकी आँखें है जैसे दरिया है,
उनमें लहरें भी शेर कहती हैं।

जब भी गुलशन से गुजरता हैवो,
शाख़-ओ-बेले भी शेर कहती हैं।

तू मिस्ले-महताब सा 'तनहा' है,
की तेरी किरने भी शेर कहती है।

Tariq Azeem Tanha

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12 Comments

नंदिता राय

14-Jun-2022 06:37 PM

बेहतरीन

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Shnaya

14-Jun-2022 02:25 PM

शानदार

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Reyaan

13-Jun-2022 11:51 AM

शानदार

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