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वो औरत

वो औरत 
जो सुनहरे ख्वाब 
संजोती सबके लिए"""


पर न जाने 
सपने सारे ही 
ध्वस्त, परास्त होते स्वयं के लिए"""


बना देवी 
त्याग, सहनशीलता 
के गुणों से नवाजते अपने स्वार्थ के लिए"""


ये दुनिया 
सिर्फ झूठा प्रेम 
दिखा सकती है अपने किए अत्याचार को दबाने के लिए"""


शक्ति का 
नाम यूं ही नहीं मिला 
विध्वंशिका भी हो सकती है खुद को बचाने के लिए"""


उसे बस सुंदरता में 
लिपटी शब्दों की तहरीर नहीं  
प्यार के बेशकीमती बोल, स्पर्श चाहिए पल्लवन के लिए"""



हम औरतों की 
जिंदगी एक जैसी ही 
पर विभक्त होती संवेदनाएं भी पराकाष्ठा के अहम को लिए"""


फिर भी उसे ही 
दफन करना पड़ता है भूल-चूक 
सब राग द्वेष जीवन को महकाने ,कुसुमित करने के लिए""""

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13 Comments

Raziya bano

04-Sep-2022 03:16 AM

Nice

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Niharika

03-Sep-2022 04:33 PM

Bahut khub

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Seema Priyadarshini sahay

03-Sep-2022 04:19 PM

बेहतरीन

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