मासूम दोस्ती
सूर्या लाइब्रेरी में तो नहीं है डेनी- विक्की ने लाइब्रेरी में नज़र दौडाते हुए कहा।
मुझे पता है वो कहाँ गया होगा-डेनि ने कहा
तेरा मतलब उस जगह से तो नहीं है
हाँ ! तू सही सोच रहा है । सूर्या उसी पार्क में मिलेगा- डेनि ने कहा।
तो फिर ठीक है । वहीं चलतेहैं-विक्की ने आगे बढते हुए कहा ।
दोनों विक्की और डेनि उसी पार्क की तरफ चल देते हैं।
सूर्या पार्क में बैंच पर बैठा हुआ है । उसकी आँखे बंद हैं और उसने अपने दोनों हाथों से अपना सिर पकडा हुआ है
क्यों? क्यों किया तुमने ऐसा? तुम्हें पता है तुम्हारे धोखे ने मुझे किस हद तक तोड दिया है? किसी से बात नहीं कर पाता मैं । बेवजह सब से लडता-झगड़ता हूँ, गुस्सा करता हूं। मैं ऐसा नहीं था। हाँ! मैं हमेशा से ऐसा नहीं था।
तुम्हारे धोखे ने मुझे ऐसा बनाया है, तुम्हारी दगा ने।
मुझे तुमने ,सिर्फ और सिर्फ तुमने ऐसा बनाया है । लेकिन क्यों??- सूर्या खुद ही खुद में बडबडा रहा था।
तभी डेनि और विक्की उसे ढूंढते हुए वहां पहुँच गए ।
तो जनाब! अब आप झूठे प्रोमिस भी करने लगे हैं- विक्की ने उसके पास बैठते हुए कहा।
सूर्या एकदम से चौंक गया । फिर खुद को नॉर्मल करते हुए बोला- मैने? मैने कौन सा झूठा प्रोमिस किया ।
उफ्फ, ये मासूमियत! बेचारे बच्चे को पता ही नहीं है कि उसने क्या प्रोमिस किया । देख ना डेनि- विक्की ने नौटंकी करते हुए कहा ।
साले! हमसे प्रोमिस करके आया था कि सीधा लाइब्रेरी जाऊँगा और केवल बूक्स में मन लगाऊँगा । यहाँ आकर बैठा है और ऊपर से पूछ रहा है कि कौन सा प्रोमिस- डेनि ने गुस्सा होते हुए कहा।
ओह्ह! सॉरी यार । मुझे सच में याद नहीं था।- सूर्या ने मासूमियत से कहा ।
फिर सॉरी! तुझसे तो बात ही नहीं करनी चाहिये।
और वैसे भी तुझे याद कैसे रहेगा? हम और हमारी बातें तो तेरे लिए कुछ अहमियत रखती ही नहीं हैं । क्यों विक्की?-डेनि की आवाज से उसकी नाराजगी साफ़ झलक रही थी ।
तू बिल्कुल सही कह रहा है । ऐसा ही है ये। जिसने धोखा दिया,उसे याद करने के लिए टाईम है जनाब के पास और जो जान देने के लिए तैयार हैं उनकी कोई परवाह ही नहीं है- विक्की की आवाज नम थी।
सेंटी क्यों कर रहे हो यार! मैं प्रोमिस करता हूँ कि अब आगे से ऐसा कभी नहीं होगा- सूर्या ने गले पर हाथ रखते हुए कहा।
मुझे भरोसा नहीं है तेरे प्रोमिस पर- विक्की ने मुँह बना दिया ।
तो फिर तुम लोग जो कहो, मैं वही करूँगा । बस यार नाराज मत होना-सूर्या ने कहा।
ठीक है । तो तुम्हें हर वक़्त हमारे साथ ही रहना होगा। हम तुम्हें बिल्कुल अकेला नहीं छोड सकते। हम तुझे जितना उस इंसिडेंट से निकालने की कोशिश कर रहे हैं,तू उतना ही इसमें घुसता जा रहा है और हम ये रिस्क नहीं ले सकते- डेनि ने कहा ।
पर ••••पर यार!- सूर्या ने कुछ कहना चाहा।
पर-वर कुछ नहीं । अगर तुम्हें मंजूर है तो बताओ वर्ना हम लोग चले- विक्की बोला।
ठीक है, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा- सूर्या ने कहा।
ये हुई ना बात । अब जल्दी से क्लास में चल । ब्रेक ओवर हुए काफी देर हो गई - डेनि ने सूर्या को उठाते हुए कहा ।
सूर्या बिल्कुल भी नहीं चाहता था कि विक्की और डेनि के साथ-साथ उसे भी लक्षिता के साथ कॉलेज घूमना पडे ।
लेकिन वह मजबूर था । वो किसी भी हालत में विक्की- डेनि के नाराज होने का रिस्क नहीं ले सकता था। वो उन दोनों के बिना एक पल भी नहीं रह सकता था । और विक्की और डेनि भी तो उसपर जान छिडकते थे ।
ओए! कहाँ खोया है- विक्की ने सूर्या को झकझोरते हुए कहा । क्लास आ गई । अन्दर नहीं जाना क्या?
क्लास में टीचर आ चुके थे ।
मे आई कम इन सर- तीनों एक साथ बोले।
येस, येस। कम इन। - टीचर बोले। कहाँ थे तुम लोग??
लाइब्रेरी में सर। लाइब्रेरी सर ने किसी काम से रोका हुआ था।- विक्की ने जवाब दिया।
ओके! टेक यौर सीट- टीचर ने कहा।
विक्की ही झूठ बोलकर और बातें बनाकर इन दोनों को टीचर से बचाया करता था । इसिलिए ऐसी जगह पर उसे ही आगे आना पडता था ।
टीचर ने अपना लेक्चर कम्पलीट किया और क्लास से चले गए ।
टीचर के बाहर जाते ही डेनि ने कहा- यार विक्की आज तूने बचा लिया , वर्ना डांट पक्की थी। पता है ना, शर्मा सर कितने स्ट्रिक्ट हैं ।
हाँ! हाँ! मुझे तो बचाना ही पडेगा। मेरे सिवाय है कौन तुम लोगों का- विक्की ने गर्व से कहा।
बस कर नौटंकी। तूने कोई नया काम नहीं किया है । ये तो तेरा फर्ज है हमें डांट से बचाना। समझा?-सूर्या ने कहा।
वैसे तो मैं इतना समझदार नहीं हूँ । लेकिन तू समझा रहा है तो चल समझ जाता हूँ- विक्की ने नौटंकी करते हुए कहा ।
तो कल कितने बजे कॉलेज आना है- लक्षिता ने डेनि से पूछा ।
गाइज़! हम लोग कितने बजे आ सकते हैं- डेनि ने विक्की और सूर्या की ओर देखा।
रोज वाले टाईम पर ही आयेंगे ना, 8 बजे- सूर्या ने जवाब दिया ।
अरे नहीं ! कल लक्षिता को कॉलेज दिखाना है तो जल्दी आना पडेगा।- डेनि ने कहा
7 बजे आ जायेंगे- विक्की ने कहा।
सूर्या ने कुछ कहना चाहा मगर फिर चुप हो गया ।
तो फिर ठीक है । मैं और प्रेक्षा कल 7 बजे कॉलेज आ जायेंगे- लक्षिता ने मुस्कुराते हुए कहा और अपनी सीट पर चली गई।
सूर्या चुपचाप अपनी सीट पर बैठा था ।
उसकी खामोशी विक्की और डेनि को बिल्कुल अच्छी नहीं लग रही थी ।
विक्की ने सूर्या की तरफ देखकर मुँह बना दिया।
सूर्या भी कहां पीछे रहने वाला था । बदले में उसने भी मुँह बना दिया । और फिर दोनों हँस पड़े ।
दोनों की हँसी डेनि को बहुत सुकून पहुँचा रही थी ।
सूर्या! तू ऐसे ही हँसता रहा कर। कितना अच्छा लगता है हँसते हुए! - डेनि ने भावुक होकर सूर्या से कहा।
सच्ची! इतना अच्छा लगता हूँ ।- सूर्या ने प्यार से डेनि की ओर देखा और फिर आगे बढकर उसे गले लगा लिया।
कितना सोचता है तू मेरे लिए! सच में बहुत किस्मत वाला हूँ मैं जिसे तेरे जैसा दोस्त मिला है- सूर्या ने उसे गले लगाये हुए ही कहा।
और मैं तो तुम दोनों का ही दुश्मन हूँ । मेरी तो जरुरत ही नहीं है यहाँ। फिर भी मैं पागलों की तरह यहाँ बैठा हुआ तुम्हें देख रहा हूँ ।- विक्की ने उन दोनों के बीच आते हुए नाराजगी से कहा।
उसकी बात सुनकर डेनि और सूर्या ने दोनों ओर से उसके गालों पर किस करते हुए एक साथ कहा- तू तो हमारी जान है यार!
हाँ! वो तो मैं हूँ इसिलिए तो तुम लोगों को बार- बार अपनी याद दिलानी पड़ती है-विक्की ने मुँह बनाते हुए कहा।
फिर तीनों एकसाथ हँस पडे।
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पार्ट अब रोज आया करेगा। मगर समीक्षाओं में कोई कंजूसी नहीं ।
shweta soni
23-Jul-2022 05:05 PM
Nice 👍
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Seema Priyadarshini sahay
15-Jun-2022 07:10 PM
बहुत ही शानदार भाग।बेहतरीन लेखन आपका। लिखते रहिए मैम ।
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नंदिता राय
14-Jun-2022 06:30 PM
शानदार भाग
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