समाज की सोच
बड़ा सोचना अच्छी बात है |
अच्छा होगा धैर्य साथ है |
स्वतंत्र सोच का हो विकास |
औरतों को मिले पूरा सम्मान |
हो करूणामयी समाज की स्थापना |
भूत को छोड़कर, भविष्य की योजना |
दृड़ इच्छाशक्ति और हो ईमानदारी |
पर एकरूपता लाना है बहुत जरूरी |
बेहतर पढ़ाई और स्वच्छता का हो ध्यान |
नियोजन से करें धर्म जाति का मान |
दया व परोपकारी की ही भावना न हो |
रोजगार के रूप में काम कोई बड़ा हो |
समाज की जरूरत को महसूस करना है |
मिलजुल कर सबको दुनिया बदलना है |
छोटे बदलाव हैं बड़े काम के |
लझ्यों को तय कर लगें काम पे |
परिवर्तन तो समाज का नियम है |
चाल मे चाल मिलाना अपना करम है |
सुशी सक्सेना इंदौर मध्यप्रदेश
Dr. Arpita Agrawal
16-Jun-2022 01:23 PM
Beautiful 👌👌
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Shrishti pandey
16-Jun-2022 10:27 AM
Nice
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Punam verma
16-Jun-2022 10:25 AM
Nice
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