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लेखनी कहानी -15-Jun-2022 उसका यकीन उठ गया

उसका यक़ीन उठ गया मेरे यक़ीन से,
यानी के आसमाँ न रहा इस ज़मीन से।

फिर ये रहा कि सीने में वो दिल ही न रहा,
मैंनें जो दिल लगाया था इक माह-ज़बीन से।

कपड़ों पे मेरे हाय! लिपिस्टिक के दाग़ थे,
जो धुल न पाये फिर कभी वाशिंग मशीन से।

सारे के सारे साँप भी नाचेंगे देखना,
छेड़ेगा धुन सपेरा जब अपनी बीन से।

तारिक़ अज़ीम 'तनहा'

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3 Comments

Seema Priyadarshini sahay

17-Jun-2022 05:40 PM

बेहतरीन👌👌

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Mohammed urooj khan

15-Jun-2022 08:06 PM

Nice👌

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Swati chourasia

15-Jun-2022 07:17 PM

बहुत खूब

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