महक ......
महक रहा है आंगन फूलों की बहार है
सिंचता जा नित गुल्म कलियों की पुकार है
अंबर को ताकना तेरी बेबसी होगी
मिटा पहले जो जमीन में पडी दरार है
महकेगा जीवन तरिका कुछ ऐसा सोच
चाल तेरी भी होगी फिर असरदार है
कभी बनेगा महान तेरा रुतबा होगा
झूठी शान का लगा हर तरफ बाजार है
महकती रहेगी मैफिल कर्म प्रभाव से
तेरी नेक नियत रहेगी सदा खुद्दार है
प्रभात कुमार
Punam verma
17-Jun-2022 06:46 PM
Nice
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Shrishti pandey
17-Jun-2022 03:12 PM
Nice
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Swati chourasia
17-Jun-2022 06:43 AM
बहुत खूब 👌
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