Sarfaraz

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स्वैच्छिक

🌹🌹🌹 ग़ज़ल 🌹🌹🌹

मस्त नज़रों के जाम ने मारा।
उनके फ़र्शी सलाम ने मारा।

ताइर ए दिल को मेरे,ऐ दिलबर।
तेरी ज़ुल्फों के लाम ने मारा।

छीन ली तेल ने तरी सर की।
दिल को दालों के दाम ने मारा।

बात कुछ हद से बढ़ गई होगी।
तब ही राजा ग़ुलाम ने मारा।

मॉब लिंचिंग के नाम पर अब तक।
सैकड़ों को अ़वाम ने मारा।

हर घड़ी पेट पकड़े रहते हैं।
ऐसा लुत्फ़ ए तुआ़म ने मारा।

पहले मरते थे काम से अपने।
अब फ़राज़ उनके काम ने मारा।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ मुरादाबाद।

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1 Comments

Swati chourasia

17-Jun-2022 08:09 PM

Very nice 👌

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