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तूफान - नॉन स्टॉप प्रतियोगिता (कविता 2) 17-Jun-2022

तूफानों से क्या डरना,ये तो आते रहते हैं
हम तो ऐसे राही हैं, इनसे ना घबराते हैं।

ना डरेंगे और ना रुकेंगे, राह न बदलेंगे हम
आज हारकर रुक गए, आजीवन मनाएंगे गम।

मंज़िल हमारी दूर है जटिलताओं से भरी डगर 
सूरज का ताप व शीत लहर बाधा डाले मगर।

अचल अडोल इरादों संग चलते जाएँगे हम
मील का पत्थर बन दिखाएँगे न किसी से कम।

शेर की दहाड़ हो, फुर्ती में बनूँ चीता जंगल का
वीर से डट जाओ चाहें युद्ध हो किसी दंगल का।

अदम्य शौर्य साथ दुश्मन से भिड़ जाएँगे हम
विषमताओं से हार ना मानेंगे जब तक है दम।

तूफान ज़िन्दगी में भावों के बवंडर संग आते हैं
अपने संयम से हम काँटों के पथ पर चलते हैं। 

तूफानों से क्या डरना, ये तो आते रहते हैं
हम ऐसे अडिग राही हैं, मरने से न डरते हैं।

डॉ. अर्पिता अग्रवाल

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5 Comments

Zakirhusain Abbas Chougule

20-Jun-2022 12:50 PM

बहुत खूब

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Pallavi

18-Jun-2022 09:01 PM

osm

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Seema Priyadarshini sahay

18-Jun-2022 05:30 PM

😍🌹सुपर्ब

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