साजिश (अ थ्रिलर स्टोरी) एपिसोड 7
राहुल सोफे पर बैठकर दोबारा रोशनी की फ़ोटो देखने लगा, इस बार थोड़ी दूर से ही निहार रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे कहीं तो देखा है उसे। शायद कहीं तो मिली थी ये…….🤔🤔😴😴😴
एक लड़की अपने कलाई को छुड़ाते हुए
"छोड़ दो, आउच…… प्लीज दर्द हो रहा है, छोड़ दो"
"बस पांच मिनट, पांच मिनट बैठकर मेरी बात सुन ले, फिर चली जाना" एक लड़के ने कहा।
"राहुल…. तुम वो दाल गर्म कर लो" पीछे से आवाज आई।
"जी मालिक" राहुल ने कहा और किचन की तरफ जाने लगा।
राहुल था तो वेटर, लेकिन उसे किचन का काम पसंद था, उसे खाना परोसना और जूठे बर्तन उठाना पसंद नही था, जब भी कोई किचन स्टाफ का लड़का कम होता तो राहुल इस बात का फायदा उठाकर किचन के कामों में लग जाता था, आज भी दो सेफ गायब थे इसलिए ये कुर्सी राहुल को मिली थी, हालांकि राहुल पकाने में इतना एक्सपर्ट नही था लेकिन काम चलाने के लिये बहुत था।
राहुल दाल गर्म करने के लिए मुड़ा और किचन से पहले हैंड वाश करके अपनी दाढ़ी सहलाकर सेट किया, आजकल नया नया शौक चढ़ा था दाढ़ी बढ़ाने का, जबकि पहले वो क्लीन शेव रहता था।
जल्दी से दाल गर्म किया और उनके क़ये आर्डर का खाना लेकर उनकी टेबल पर पहुंचा जो झगड़ रहे थे।
"अगर तुम्हे वो पसंद है तो मेरी पसंद का क्या?" लड़के ने कहा।
लड़की ने एक झटके से हाथ छुड़ाया और कहा- "भाड़ में जाओ तुम और तुम्हारी पसंद" इतना कहकर लड़की वहां से चली गयी।
अब राहुल खाने की प्लेट लेकर एक झिझक के साथ उसके सामने गया और टेबल पर खाना रखने लगा।
लड़के ने गुस्से से राहुल को घूरा और खुद भी वहां से चले गया।
राहुल सोफे में बैठकर खुश होते हुए बोला- "याद आ गया, ये तो वही लड़की है, इसका मतलब वो रोशनी थी। और वो लड़का….हम्म अब समझ आया"
कुछ सोचते हुए हँसते हुए दोबारा राहुल खुद से बोला- "अगर उस दिन मैंने क्लीन शेव किया होता तो…. ओह माय गॉड…. वो तो मुझे दीपक ही समझती"
राहुल को बैठे बैठे दीपक की कहानी में बहुत इंटरेस्ट आ रहा था, और वो दीपक का इंतजार करने लगा कि वो कब आएगा और कब आगे की कहानी बताएगा।
"शायद रोशनी की शादी अनुराग से हो गयी होगी, या किसी और से, क्योकि इस तरह याद करने की वजह तो यही हो सकती है" राहुल ने खुद से कहा।
राहुल सोच में डूबा था कि दीपक नहाकर वापस आ गया।
"तुमने नहाना है तो तुम जा सकते हो।" दीपक बोला।
"सुनो… मुझे ऐसा लगता है कि मैंने रोशनी को पहले देखा है, मेरे होटल में भी आई थी ये एक बार" राहुल ने कहा।
दीपक ने राहुल की बात को तबज्जू ना देते हुए खिड़की के पर्दा बैंड किया और लाइट जला ली, क्योकि शाम को अंधेरा हो चुका था।
"अरे मैं क्या कह रहा हूँ, सुन भी रहे हो, मैंने इसे देखा था एक लड़का इसका हाथ मरोड़ रहा था, और गुस्से से बात कर रहा था, फिर लड़की ने उसे डाँट लगाई और चली गयी" राहुल ने बताते हुए कहा।
दीपक ने पास में बने हुए मंदिर की तरफ कदम बढ़ाते हुए कहा- "तो मैं क्या करूँ।"
"राहुल ने टेबल से अपने पैर वापस खिंचे और ठीक से व्यवस्थित तरीके से बैठते हुए कहा- "अरे मैं तुम्हारी मदद करने के लिये बता रहा हूँ तुम हो कि ध्यान नही दे रहे"
"दो मिनट शांत रहोगे, मुझे पूजा करने दो! " दीपक ने कहा और मंदिर में भगवान का मन रखने के लिए एक दिया जलाया और हाथ जोड़ दिए। और थोड़ी देर तक आंखे बंद करके वापस राहुल के पास आकर बैठ गया।
"शाम को क्या खाओगे?" दीपक ने राहुल से पूछा।
"कुछ भी खिला दो, पेट ही भरना है।" राहुल ने कहा।
"ठीक है, दाल चावल बना लेना, सामान सब है अंदर, कुक तो तुम हो, मैं तो किलर हूँ" दीपक ने कहा और टीवी खोलने लगा।
"वो मैं पका दूँगा, लेकिन एक बात तो सुनो, मुझे पता है हँसी क्यो आ रही?" राहुल अपनी बात आगे बढ़ाने के लिए कहने लगा।
"तुम्हे कब हँसी आयी, मुस्कराते तो नजर नही आये" दीपक ने कहा।
"यार बात बात पर उल्टा जवाब, मैं हँसा था, क्योकि मुझे ख्याल आया कि अगर मेरी दाढ़ी उस दिन क्लीन होती और मैं तुम्हारी रोशनी से आर्डर लेने लग जाता तो तुम्हारी क्या इज्जत रह जाती, वो मुझे तुम समझकर तुम्हे वेटर समझती, जैसे फिल्मो में होता है" राहुल ने कहा और फिर से हँसने लगा।
दीपक ने राहुल की तरफ देखा और झट से बोला- "अरे हाँ! ......इसका मतलब……. " कहते कहते दीपक चुप हो गया।
"क्या मतलब??" राहुल ने सवाल किया।
"कुछ नही, मैं भी दो तीन बार आया था उस होटल में, लेकिन मुझे भी बहुत बाद में पता चला कि तुम मेरे जैसे दिखते हो, और जब तक मैं कुछ समझ पाता उन्होंने तुमपर पहला हमला कर दिया।" दीपक ने कहा।
"वो तो मुझे दीपक समझकर किया, क्योकि आपकी दुश्मनी थी उनसे, लेकिन आप ये तो बताओ कि आपकी दुश्मनी क्या थी उनसे, आखिर वो लोग तुम्हे क्यों मारना चाहते है?" राहुल ने फिर वही सवाल किया जो शुरुआत से करता आ रहा था, बात घुमफिरकर वापस विजय और दीपक की दुश्मनी में आ गयी थी।
"दुश्मनी…… ठहरो…. " राहुल को इंतजार करने के लिए कहकर दीपक अंदर कमरे में गया और अल्मारी में देखने कुछ ढूंढने लगा।
राहुल से रहा नही गया, वो भी उसी कमरे की तरफ बढ़ गया जहाँ दीपक गया था। दीपक बैचेनी से अल्मारी में कुछ ढूंढ रहा था, एक एक करके उसने तीन चार किताबे और कुछ पुराने अखबार नीचे फेंके। राहुल दरवाजे तक तो आ गया लेकिन कमरे के अंदर जाने में एक झिझक थी, हालांकि दरवाज़ा खुला हुआ ही था और उसे दीपक उसके बेड के एक किनारे सटाकर रखी अलमारी से सामान बेड पर फेंकता नजर आ रहा था।
दीपक ने सामने की तरफ देखा तो राहुल खड़ा था।
"इधर आना" दीपक ने कहा।
राहुल आज्ञा पाकर अलमारी की तरफ बढ़ा।
"इन अखबारों में 18 फरवरी के अखबार को ढूढ़कर अलग करो, तब तक" दीपक ने कहा।
राहुल अखबार में ढूंढने लगा और दीपक अलमारी में, थोड़ी देर तक दोनो व्यस्त रहे।
अभी अखबार के ढेर सारे पन्नो में 18 फरवरी के अखबार मिला भी नही था कि दीपक बोला- "मिल गया, ये सामने ही पड़ा था लेकिन नजर नही आ रहा था"
"उपर था क्या अखबार?' राहुल ने कहा।
"नही , मैं कुछ और ढूंढ रहा था।" दीपक ने कहा ऑयर खुद भी अखबारो में उस दिन के अखबार को ढूंढ रहा था।
थोड़ी देर दोनो एक साथ अखबारों को तीतर बितर करने लगे रहे, तभी राहुल को वो अखबार मिल गया।
"ये रहा!" राहुल चिल्लाया।
दीपक ने उसके हाथ से अखबार लिया और अपने दूसरे हाथ मे एक तस्वीर जिसे उसने ढूंढी थी, और हॉल की तरफ चला गया।
"लेकिन उनमें है क्या?" कहते हुए राहुल दीपक के पीछे पीछे गया।
हॉल में जाकर दीपक ने राहुल को एक तस्वीर दिखाई।
"अरे! ये तो वही लड़का है।" राहुल में कहा।
"देखो ना! अजनबी होकर भी तुम मेरे जिंदगी के कितने करीब हो, मुझे नही जानते लेकिन मेरे दुश्मनों को पहचानते हो, देट्स ग्रेट। अब ये अखबार पढो" कहते हुए दीपक ने अखबार में एक खबर पर उंगली रखते हुए राहुल को अखबार पकड़ाया।
राहुल के तो हेडलाइन देखकर ही पैरों तले जमीन खिसक गई, उसने जब पूरी खबर पढ़ी तो निशब्द हो गया उसके मुंह से एक ही बात निकली- "ऐसा कैसे हो सकता है?"
घबराया हुआ राहुल कभी खबर पढ़ता, कभी दीपक की तरफ देखता।
कहानी जारी है
Fiza Tanvi
27-Aug-2021 11:57 PM
Nice💐💐💐
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राधिका माधव
29-Jul-2021 10:07 AM
वेरी नाइस स्टोरी....!
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