रिश्तों की राजनीति- भाग 11
भाग 11
यहाँ सान्वी अक्षय को फोन मिला-मिलाकर परेशान हो रही होती है, वहीं अक्षय अपने खास दोस्तों के साथ फार्महाउस में पार्टी कर रहा होता है। उसके खास दोस्तों में अजीत भी शामिल होता है। देर रात सभी दोस्त निकल जाते हैं। सिर्फ अक्षय और अजित ही फार्महाउस में रुक जाते हैं।
अजीत अक्षय से पूछता है….रात कैसी कटी?
एकदम मस्त और तेरी?
मेरी भी एकदम मस्त, लड़कियाँ सुन्दर थीं। यहाँ से कब तक निकलने का विचार है?
थोड़ा नशे का खुमार तो उतर जाए, फिर चलते हैं दोपहर के बाद।
कुछ देर बाद अक्षय अपना फोन ऑन करता है तो देखता है कि सान्वी की बीस मिस कॉल्स होती हैं और साथ ही मैसेज होता है…..कहाँ हो, फोन क्यों बन्द आ रहा है तुम्हारा। जरुरी बात करनी है, जल्दी फोन करो मुझे।
अक्षय बड़बड़ाने लगता है….यार यह गर्लफ्रेंड बनाना भी बड़ा झंझट का काम है, साली जोंक की तरह चिपक जाती है। हर बात की खबर देते रहो इन्हें।
अजीत हँसते हुए कहता है…..मेरी वहिनी(भाभी) के बारे में ऐसी बात कहते शर्म नहीं आती तुझे अक्षय, गलत बात।
हँसना बन्द कर यार, काहे की भाभी…
एक रात की रानी है वो, इससे ज्यादा कुछ नहीं। कोई और लड़की होती तो आसानी से पट जाती , लेकिन यह साले मध्यमवर्गीय लोग पैसा हो न हो जेब में, संस्कार जरूर रखते हैं। इन्हें खुद को आधुनिक भी दिखाना है और संस्कारी भी। आसानी से पटने वालों में से नहीं थी वो, इसलिए शरीफ होने का पैंतरा अपनाना पड़ा। अभिजीत की बहन है, ऐसे कैसे छोड़ दूँ? उसके भाई की अकड़ निकालने के लिए सान्वी से बेहतर कोई हथियार नहीं है।
इस बात पर दोनों हँसने लगते हैं।
अक्षय, अजीत को चुप रहने का इशारा करते हुए सान्वी को फोन मिलाता है।
अक्षय के है्लो बोलने से पहले ही सान्वी बोल पड़ती है…..कहाँ हो तुम? फोन क्यों ऑफ़ करके बैठे थे?
सान्वी, मैं बाबा के साथ उनकी पार्टी के काम से गया था। बाबा ने फोन बंद करने के लिए कह दिया था, तो क्या करता मैं? बात क्या है, इतनी परेशान क्यों हो?
मुझे मिलना है तुमसे, जरुरी बात करनी है।
ठीक है शाम को मिलते हैं अपनी पुरानी जगह पर।
लव यू अक्षय….
लव यू टू सान्वी…..
इतना कहकर अक्षय फोन रख देता है और अजीत से कहता है….चल फ्रेश होकर निकल जाते हैं यहाँ से, मुझे सान्वी से मिलने जाना है शाम को। परेशान लग रही थी फोन पर, कह रही थी उसे कोई जरुरी बात करनी है मुझसे।
होने दे उसे परेशान, उसके चक्कर में तू क्यों परेशान हो रहा है? उसके भाई को पता चल गया होगा और क्या?
इसलिए तो मिलने जाना है। बड़ी मेहनत की है सान्वी पर, ऐसे कैसे हाथ से जाने दूँगा? यह खेल पूरा खेले बिना खत्म नहीं होने दूँगा।
तुझमें तो पूरे भ्रष्ट राजनेताओं वाले गुण आ गए हैं।
राजनेता का बेटा हूँ तो राजनेता के गुण आना तो बनता है।
अजीत हंसते हुए कहता है…….हमारा नेता कैसा हो?
अक्षय जगताप पाटिल जैसा हो।
अक्षय हंसते हुए कहता है…..भविष्य में जब चुनाव लड़ूँगा न तो कैंपेनिंग के लिए तुझे साथ में ले जाऊँगा।
शाम को सान्वी और अक्षय अपनी तय जगह पर मिलते हैं। सान्वी का परेशान चेहरा देखकर अक्षय कहता है…..बताओगी भी अब अपनी परेशानी की वजह या यूँ ही चेहरा लटकाकर बैठी रहोगी?
अक्षय, अभिजीत दादा को हमारे बारे में सब पता चल गया है। कल वो मुझे कॉलेज छोड़ने आए थे और लेने भी, अब से वो रोज आएंगे इसी तरह मेरे साथ। कल घर जाते वक़्त वो रास्ते में एक जगह बाइक रोककर खड़े हो गए और मुझसे सवाल करने लगे तुम्हारे बारे में। मैंने उन्हें सच-सच बता दिया हमारे रिश्ते के बारे में। वो तुम्हारे बारे में उल्टा-सीधा कहने लगे और रिश्ता तोड़ने के लिए दबाव डालने लगे।
तुम्हारे अभिजीत दादा ने क्या कहा मेरे बारे में, ज़रा मैं भी तो सुनूँ।
दादा ने कहा कि तुम एक बिगड़ैल और अय्याश किस्म के लड़के हो, और तुम मेरा इस्तेमाल कर रहे हो।
सान्वी की बातें सुनकर अक्षय की आँखें नम हो गईं। उसने सान्वी का हाथ पकड़ते हुए कहा…..हम इतने महीनों से साथ हैं, क्या कभी मैंने तुम्हारा फायदा उठाने की कोशिश की?
तुम्हारे दादा की बातें मुझे अच्छी नहीं लगी सान्वी।
ओह हो! अक्षय तुम दुखी मत हो। मैंने भी उन्हें साफ़-साफ़ कह दिया है कि जैसा वो तुम्हें समझ रहे है, तुम वैसे नहीं हो। तुम मुझसे सच में प्यार करते हो और मुझसे शादी करना चाहते हो।
दादा तुमसे मिलना चाहते हैं अक्षय।
ठीक है सान्वी, मैं तैयार हूँ मिलने के लिए।
यह सुनकर सान्वी का चेहरा खुशी से चमकने लगता है।
अक्षय सान्वी को उसके घर से थोड़ी देर एक कम भीड़भाड़ वाली जगह पर छोड़ देता है। वो कार से उतर ही रही होती है, तभी अक्षय उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लेता है और आँखों ही आँखों में इशारा करता है।
सान्वी मना करते हुए कहती है….अभी नहीं। लेकिन अक्षय मानता नहीं और उसके होंठों पर अपनी मोहर लगा देता है। सान्वी की साँसे तेज़ होने लगती हैं। अक्षय उसे शांत करने के लिए कहता है….दो प्यार करने वालों के बीच इस तरह प्यार का इज़हार करना सामान्य बात है और वैसे भी कल तुम्हारे भाई से मिलने आ रहा हूँ मैं, हमारी शादी की बात करने।
हमने कुछ गलत नहीं किया है, समझी। लो पानी पी लो थोड़ा सा और गहरी सांस लो।
।
सान्वी अपने आपको संयत करने के बाद वहाँ से निकल जाती है।
अक्षय अपनी इस पहली जीत पर मुस्कुराते हुए कहता है….अभिजीत तेरी राय सही है मेरे बारे में। हाँ, मैं तेरी बहन का इस्तेमाल कर रहा हूँ। वैसे पूरा इस्तेमाल किए बिना छोडूंगा नहीं, यह मेरा वादा है तुझसे।
सान्वी जब घर पहुँचती है तो देखती है….अभिजीत अभी तक घर नहीं आया होता है। वो बाथरूम में जाकर चेहरा धोती है और खुद को काफी देर तक आईने में निहारती रहती है। अपने होंठों से उसका ध्यान हट ही नहीं रहा होता है।
तभी आई की आवाज़ आती है…..बाथरूम में चेहरा धोने गयी थी या सोने? जल्दी आ बाहर।
सान्वी अक्षय के ख्यालों से बाहर आती है और झट से दरवाजा खोल देती है।
तब तक अभिजीत भी घर में आ चुका होता है। उसके और बाबा के बीच में आपली माणसे पार्टी को लेकर चर्चा चल रही होती है। दोनों ही मिलकर एम एल ए जगताप पाटिल की बखिया उखेड़ते हुए कह रहे होते हैं….जगताप पाटिल जैसा भ्रष्ट नेता कोई नहीं है, दुनियाभर की ब्लैक मनी इकठ्ठी करके इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया है उसने।
सान्वी मन ही मन सोचती है….मनी, मनी होती है। काली हो या सफ़ेद इससे क्या फर्क पड़ता है?
अक्षय के साथ महँगी गाड़ी और होटलों में जब वो जाती है तो कितना राजसी महसूस होता है उसे। ऐसा लगता है जैसे कहीं की राजकुमारी हो वो। खैर जाने दो, गरीब लोग अक्सर पैसे वालों के बारे में ऐसी ही बातें करते हैं।
❤सोनिया जाधव
Pallavi
21-Jun-2022 04:49 PM
Nice post 😊
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Raziya bano
20-Jun-2022 02:50 PM
Nice
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