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साजिश (अ थ्रिलर स्टोरी) एपिसोड 8





राहुल ने अखबार की खबर देखकर हैरानी से दीपक की तरफ देखा और कहा- "तो अनुराग…… अनुराग को तुमने……."

दीपक ने हैरान बैठे राहुल के अधूरे सवाल का जवाब देते हुए कहा- "हाँ…. मैंने मार दिया अनुराग को, क्योकि वो मेरे और रोशनी के बीच दीवार बन चुका था, और उसने मुझसे मेरी रोशनी को छिनने की कोशिश भी की थी"

राहुल ने दोबारा अखबार में नजर फेरी और दोबारा पढ़ने लगया

"दिन दहाड़े गोली मारकर कर दी हत्या, और लाश को लावारिश बनाने के लिये उसके चेहरे को जलाकर बेरहमी से दिया कारनामे को अंजाम, सूत्रों के मुताबित दोनो हाथों में गोली चलाई गई है और उसके बाद चेहरे पर एसिड फेंककर पहचान मिटाने की कोशिश की गई है। जांच से पता चला है कि लाश अनुराग नाम के शख्स की है, अनुराग और विजय दो भाई है जो आदर्श नगर के मूल निवासी थे, पिता जगदीश नाथ ने ये तहरीर नजदीक थाना अध्यक्ष विकास बहादुर को दिया है, जो इस केस पर बारीकी से जांच कर रहे है, खूनी का अभी तक कोई निशान नही मिला है।"

राहुल ने दीपक की तरफ देखा और कहा- "लेकिन उसे सिर्फ इसलिए मार दिया कि वो भी रोशनी को चाहता था, इसके लिए उसे समझाया भी जा सकता था"

"बहुत समझाया था, बहुत ज्यादा बार उसे वार्निंग भी दी थी, लेकिन उसकी हरकत नही सुधरी।" दीपक बोला।

"तो क्या गोली मार दोगे, ये गलत किया तुमने, मैं तुम्हारे पक्ष में नही हूँ, अगर विजय तुम्हारा दुश्मन सिर्फ इसलिए है कि उसके भाई का खून तुमने किया है तो अपनी जगह बिल्कुल सही है वो, हालांकि उसे भी कानून की मदद लेनी चाहिए।" राहुल ने कहा।

"सही गलत का फैसला इतनी जल्दी नही लिया जाता भाई। चलो मैं तुम्हे बताता हूँ इसके कत्ल के पीछे की कहानी, जो तुमने होटल में देखा वो लगभग लास्ट की कहानी थी, बीच मे बहुत कुछ हुआ था। मैं उस दिन सुबह सुबह ऑफिस की तरफ जा रहा था कि रोशनी का फोन आ गया, मैंने बाइक किनारे रोकी और फोन उठाया🤔🤔🤔😔😔

*****

"हेलो…. हां रोशनी….बोलो"

"दीपक कहाँ हो तुम?"

दीपक ने बाइक का इंजन ऑफ किया और पैरों से धक्का देते हुए बाइक को छाया में करते हुए थोड़ा आगे खिसका और बोला

" मैं अभी रास्ते मे हूँ, तुम बताओ सुबह सुबह फोन कैसे किया आज"

"अरे ऑफिस से पहले एक बार घर तो आओ, घर मे कोई वकील आये है, और इनकी बाते समझ नही आ रही" रोशनी ने कहा।

"वकील, वकील का क्या काम…. बोल क्या रहा है" दीपक ने सवाल किया।

"यही की हमारा घर हमारा नही है, ये किसी और के नाम पर दिया है" रोशनी ने कहा।

"तुम्हारा घर तुम्हारा नही है? ये कैसे बोल रहा वो, पागल हो गया है क्या? रुको मैं आता हूँ।" दीपक ने कहा और रोशनी की घर की तरफ चला  आया।

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"मैंने ऐसा नही कहा कि ये घर आपका नही है, ये घर रोशनी मेम के नाम का है, लेकिन इनके पापा अखिलेश मिश्रा ने इसे एक कॉन्ट्रेक के तहत सिग्नेचर किया हुआ था।" वकील बोला।

"कैसा कॉन्ट्रेक्ट...... " दीपक ने सवाल किया।

"मरने से पहले उन्होंने लड़की के नाम पर ये जायजाद सिर्फ उसकी शादी तक लिखी है, उसके शादी होते है उसका नाम इसमे से हट जाएगा और ये जमीन सरकारी खाते में आ जायेगा, और कॉन्ट्रेक्ट में ये भी लिखा है कि इस जमीन पर अनाथालय बनाया जाएगा।" वकील ने कहा।

"ऐसा हमे तो कभी बताया नही पापा ने, ना मुझे ना ही माँ को…. मम्मी तुम्हे कुछ कहा था इस बारे में" रोशनी ने कहा।

"नही, मुझे भी इस बारे में कुछ पता नही है।" मम्मी ने कहा।

"फिर तो पुलिस बुला लेते है ना,  क्योकि ऐसे फरेबी लोग आजकल ज्यादा ही आजाद हो गए है, क्यो भाई, तुम वकील हो या चोर साफ साफ बता दो।" रोशनी ने कहा।

"भलाई का तो जमाना ही नही रह गया, अभी पुलिस आप मत बुलाओ, क्योकि मेरा काम था आपको सच बताना, शादी के बाद पुलिस खुद आएगी घर खाली करवाने, अगर आपको मुझपे यकीन नही तो सरकारी दफ्तर जाकर पता कर सकते है, लेकिन उससे भी आपका नुकसान होगा, मैं तो सिर्फ रास्ता बताने आया था, मर्जी आपकी" कहते हुए वकील उठकर जाने लगा।

दीपक ने उसे टोकते हुए कहा- "ओ हैलो…. लेकिन रास्ता तो बताओ, ये तो बस खाई के दर्शन करा गए तुम, अगर ऐसा कुछ हुआ है तो तुम बताओ कि शादी के बाद भी ये घर मकान रोशनी के नाम पर कैसे रह सकता है।"

रोशनी ने दीपक को टोकते हुए कहा- "अरे बकवास करते है ये लोग, ऐसे ही उल्टे सीधे कागजों पर सिग्नेचर कराकर लोगो को लूटते है"

दीपक ने रोशनी को शांत करते हुए कहा- "सुन तो लेते है, करना न करना तो मर्जी है हमारी"

वकील वापस बैठते हुए बोला- "ज्यादा मुश्किल नही है उपाय, रोशनी के पास शादी तक पूरा अधिकार है कि वो इस जमीन को बेच सकती है, लेकिन शादी के बाद नही बेच सकती, इसलिए अगर रोशनी शादी से पहले इस जमीन को बेचती है तो इनके पापा का साइन किया हुआ कॉन्ट्रेक्ट निरस्त हो जाएगा"

"तू तुम हमारे जमीन को बिकवाने आये हो, हम पागल नही है जो इतने बड़े घर को बेच देंगे" रोशनी बोली।

"अरे वापस खरीद लेना, जिसे बेचोगे उसे बेचकर वापस खरीद लेना, क्योकि बेचने पर वो निरस्त हो जाएगा, उसके बाद आप खरीद सकते हो" वकील ने कहा।

"तो तुमने जरूर कोई ऐसा बंदा भी ढूंढ लिया होगा जो इसे खरीद के वापस हमे बेचेगा, है ना" दीपक ने बहुत प्यार से वकील से कहा।

"ऐसा ढूंढा तो नही, मैंने कहा है आप अपनी इच्छा से ये काम करेंगे, किसी अनजान पर यकीन अच्छा नही है, आप किसी अपने जान पहचान के भरोसेमंद व्यक्ति को बेच सकते है और कुछ समयांतराल के बाद वापस खरीद सकते है। मेरा काम बस इतना था कि मैं आपको यह बता पाउँ की रोशनी जी कि शादी के बाद इस घर पर उनका कोई हक नही होगा, इसलिए वो शादी से पहले पहले ये केस शोल्व कर सकती है।"  वकील ने कहा।

"ठीक है, अब आप जा सकते हो, कल ही हम सरकारी दफ्तर जाकर इसकी जांच करेंगे, आपकी बात कितनी सच है। " रोशनी ने कहा।

"जी मैं फिर से कह रहा हूँ कि अगर आपने दफ्तर पर ये बात इस तरीके से पूछी तो शायद वो बेचने पर प्रतिबंध लगा देंगे। अभी आप डायरेक्ट नही बेच सकते,आपको ये दिखाना पडेगा की आपके पास नौकरी नही है, आय का साधन नही होने से आर्थिक स्थिति ठीक नही है इसलिए आप ये घर बेच रहे हो" वकील बोला।

"लेकिन दफ्तर वाले क्यो प्रतिबंध लगायेंगे, अभी तो आपने कहा की शादी से पहले रोशनी कुछ भी कर सकती है।" दीपक ने कहा।

"ये कानून की बाते आप नही जान सकोगे, वैसे आप कौन? जहां तक मेरा ख्याल है रोशनी इकलौती है, और उसका कोई भाई भी नही है" वकील ने कहा।

"मैं उसका होने वाला पति हूँ, दीपक…. " दीपक ने कहा।

"ओह…. अरे! फिर तो आपका काम और आसान हो गया,   क्यों ना रोशनी ये सब आपके नाम कर दे शादी से पहले, क्योकि शादी के बाद तो सब वापस आप दोनो का ही हो जाएगा, किसी तीसरे आदमी की जरूरत ही नही,वैसे भी क्या पता आप किसी पर भरोसा करके उसे सस्ते में बेच दोगे इस उम्मीद में की वो आपको वापस बेचेगा और वो मुकर गया तो? आजकल किसी सगे का भी भरोसा नही है, इसलिए मेरी बात मानो तो रोशनी को सब दीपक के नाम कर लेना चाहिए"  वकील ने कहा।

रोशनी ने दीपक कि तरफ देखा और फिर वकील से कहा- "अभी थोड़ा यकीन जैसा हुआ तुमपर, क्योकि ये सबकुछ मेरे नाम रहे या दीपक का एक ही बात है, रिश्क लेने से अच्छा है कि हम ऐसा कर लेते है"

"नही रोशनी, ऐसा क्यो बोल रहे, इस आदमी का अब भी कोई भरोसा नही, हमे बोलेगा आपके नाम कर रहे, कर देंगे किसी और के" दीपक ने कहा।

वकील हँसते हुए- "हहहह अरे नही भाई! मेरा कोई रोल ही नही है उसमें, आपने पटवारी के पास जाकर उसे कॉन्ट्रेक्ट वाली बात बिना बताए ये कहना है कि आपने अपनी जमीन अपने दोस्त के नाम करनी है, या बेचनी है, बेच भी सकते हो या नाम भी कर सकते हो। ये सब सरकारी कामों में थोड़ी धोखेबाजी होती है, अच्छा अब मैं चलता हूँ, मुझे बस इतनी सी बात करनी थी।" वकील ने कहा और बाहर की तरफ चल पड़ा।

उसके जाने के बाद दीपक ने कहा- "कैसी कैसी वाहियात बातें करने आ जाते है, मैं तो सोच रहा था कि फ्रॉड करने देंगे इसे थोड़ा सा फिर पुलिस के हवाले करेंगे, लेकिन ये तो ईमानदार बनकर भाग गया।"

"कोई बात नही, क्या पता वो सच बोल रहा है, वैसे भी एक दो महीने बाद हमारी शादी हो जानी है, मैं तुम्हारे नाम कर दूंगी"  रोशनी ने कहा।

"मेरे नाम क्यो? आँटी के नाम कर दो, हम भी एक घर बना ही लेंगे कभी ना कभी, अभी किराए पर ही ठीक हूँ क्योकि बार बार ऑफीस  चेंज होता है, घर इतनी बार कौन चेंज करेगा।" दीपक ने कहा।

"अरे घर बनाना क्यो है? एक घर है ही, अब घरों का अचार बनाना है क्या, रोशनी के पापा ये आलीशान घर और अपनी बेटी को अपनी जगह सरकारी से भी बेहतर नौकरी देकर गए है। बस शादी कर लो फिर ये ऑफिस के चक्कर छोड़ो और रोशनी के साथ लग जाओ।" मम्मी ने कहा।

"हां माँ तू ही समझा, मैं तो कह कह के थक गई, लेकिन नही, बाबूजी को पसंद नही ये बिजनेस" रोशनी बोली।

"अभी मैं चलूँ" दीपक ने बहाना करते हुए उनकी बात टालकर जाना बेहतर समझा।

"मेरी बात का जवाब कौन देगा, ये घर तुम्हारे नाम करूंगी मैं" रोशनी ने कहा।

दीपक हँसते हुए बोला- "कोई बात नही, टेम्परेरी कर लेंगे"

"जैसी इच्छा तुम्हारी, बस इस बारे में थोड़ा पता कर लेना, कहाँ से कैसे नाम होता है" रोशनी ने कहा।

दीपक उसकी बात सुनकर, ऑफिस के लिए चले गया।

कहानी जारी है


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2 Comments

Fiza Tanvi

27-Aug-2021 11:56 PM

खूबसूरत पार्ट

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🤫

26-Jul-2021 04:43 PM

साजिश मे भी साजिश ... संतोष जी .... अगले भाग की प्रतीक्षा में

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