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योग

योग

यदि शरीर और चेतना के जुड़ाव के साथ किया जाए तो साधना है और बिना अनुभव के किया जाए तो मात्र व्यायाम.. यह जानना भी बहुत आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक स्थिति अलग अलग है।

इसके वंशानुगत कारण, पूर्व में किए गए अभ्यास, मार्गदर्शन, और व्यक्ति का समर्पण अनेक कारण हो सकते हैं इसलिए सभी को अपने अपने शरीर की क्षमता को समझते हुए ही अभ्यास करना चाहिए, जिस से किसी प्रकार ही हानि की संभावना ना रहे।

किसी भी आसन से पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए उस आसन में सहज हो जाना अनिवार्य है।

जब आसन आपके मस्तिष्क और शरीर पर अतिरिक्त भार न डाले, जब आप उस आसन में सहज हो जाएं तभी आप उस स्थिति में हो रहे आपके शरीर के बदलावों को समझ पाओगे ...

यही अनुभव आपको योग की विशेष समझ विकसित करने में सहायक होंगे और आपको आपकी आगे की यात्रा का मार्ग दिखाई देगा....










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5 Comments

Chetna swrnkar

26-Jul-2022 10:02 AM

👌👌👌

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shweta soni

21-Jul-2022 10:37 PM

Nice 👍

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Abhinav ji

20-Jul-2022 09:35 AM

Very nice👍

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