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दैनिक लेखनी प्रतियोगिता -22-Jun-2022 डरावना सपना

          " "मै नहीं जाऊँगी  ?तुम मुझे कहाँ लेकर जाओगी। मै अपनी माँ को छोड़कर कहीं नहीं जाऊँगी। चल हट मै तुझे थप्पड़ मार दूँगी। नही नहीं मुझे छोड़दो मुझसे भूल होगयी अब मै वहाँ कभी नहीं जाऊँगी मै अपने कान पकड़ती हूँ।"  यह कहकर सन्जना ने अपने कान पकड़ लिए। और वह जोर जोर से रोने लगी।


              जब उसकी माँ ने उसकी रोने की आवाज सुनी तब वह उसके पास  गयी और वह उसे पकड़कर हिलाने लगी और बोली," सन्जू क्या हुआ तुझे तू रो क्यौ रही है क्या आज फिर कोई बुरा सपना देखा है क्या ?  चल उठ । " इतना कहकर वह उसे उठाने की कोशिश करने लगी ।

               परन्तु संजना अपने कान पकड। कर कुछ बोलते हुए बड़बडा़ने लगी," नही मुझे छोड़दो मै अब वहाँ कभी भी भूल कर नही जाऊँगी।  मुझसे गलती होगयी है । अब नही होगी। मै कोई अकेली नही गयी थी मैरे साथ और भी बच्चे गये थे ।  "

    संजना की माँ ने उसके  मुह पर पानी  डाल दिया और संजना ने अपने कान छोड़ दिए परन्तु वह अभी भी डर से काँप रही थी और रो रही थी। उसकी ऐसी हालत देखकर उसकी माँ भी डर गयी। क्यौकि लड़की की बात है।

      संजना की माँ समझ गयी कि इसने कोई बुरा सपना देखा है जिससे यह डर गयी है। इसीलिए  उन्हौने उसे उठाकर अपने सीने से लगा लिया ःर पूछने लगी," क्या  तूने कोई बुरा सपना देखा था जिससे तू इतनी डर गयी है।

      सपने की याद आते ही वह फिर डर से काँपने लगी और रोते हुए बोली," माँ मेरे सपने मे वह बाहर के घेरवाली अम्मा आई थी और वह कहरही थी कि तू मेरे बगीचे में आम तोड़ने क्यौ गयी थी। अबकी बार गयी तो तुझे कच्चा खाजाऊँगी।"

      उसकी मम्मी ने सोचा कि उन अम्मा को मरे हुए तो  पूरा साल होगया वह आज इसको कैसे दिखाई दी।

      "संजना तू कल बाग में गयी थी ? " उसकी मम्मी ने पूछा।

     "हाँ मै  पूजा के साथ गयी थी और हमने पत्थर से आम भी तोडे़ थे ?" संजना ने बताया।

       संजना की मम्मी उसको डाँटती हुई बोली," देख छोरी अब तू मेरे बिना पूछे कही नही जायेगी। वह बुढि़या अपने  बेटे के बगीचे की रखवारी भूतिनी बन कर कर रही है।"

         कुछ ही समय में यह बात गाँव मे  फैल गयी की रामलाल की माँ अपने बेटे के बगीचे की रखवारी करती है। गाँव की औरतौ ने अपने अपने बच्चौ को समझा दिया कि कोई  बच्चा उस बगीचे में नही जायेगा नहीं तो रामलाल की माँ भूतनी बनगयी है वह पकड़ कर खाजायेगी।

      जब इसकी खबर रामलाल पर पहुँची तब एक बार तो वह बहुत खुश हुआ कि उसकी माँ मरने के बाद भी उसकी रक्षा कर रही है। लेकिन वह यह भी सोच रहा था कि इससे उसकी बदनामी भी होगी।इसलिए वह संजना के घर गया और पूरी बात की छानबीन करने लगा

     रामलाल ने सभी गाँववालौ के साथ मिलकर अपनी माँ की मुक्ति के लिए पूजा पाठ व  हवन यज्ञ करवाया। परन्तु बच्चे डर के कारण उस बगीचे में जाने से कतराने लगे।

                  इति

दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।

नरेश शर्मा " पचौरी "

 22/06/2022


       

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7 Comments

Kusam Sharma

26-Jun-2022 09:18 AM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

23-Jun-2022 10:53 AM

बहुत सुंदर👌👌

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Abhinav ji

23-Jun-2022 07:52 AM

Nice

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