लेखनी प्रतियोगिता -23-Jun-2022 गुनेहगार कौन
शीर्षक= गुनेहगार कौन
सुबह के 8 बजे थे । संजीव जो की 14 साल का लड़का था अपने कमरे में लेटा सो रहा था कि तभी अचानक उसका फ़ोन बजा ।
संजीव घबरा कर उठा तो देखा उसके पापा का दुबई से फ़ोन है जो की दुबई में काम करते है उसकी माँ, एक 8 साल की छोटी बहन और वो कानपुर में रहते है। संजीव कक्षा 9 का छात्र है लेकिन इन दिनों गर्मियों की छुट्टियों में वो घर पर ही था ।
संजीव ने घबराते हुए अपने पापा का फ़ोन उठाया और कहा " नमस्ते पापा "
नमस्ते बेटा उसके पिता आकाश ने कहा
"बेटा तुम्हारी मम्मी और सोना किधर है उनका फ़ोन भी बंद जा रहा है कल रात से मेरी उनसे बात नही हुयी है " आकाश ने पूछा
संजीव हकलाते हुए बोला " प,,,, प,,,,, प,,, पापा वो मम्मी का फ़ोन तो ख़राब हो गया बाथरूम में गिरकर और इस समय मम्मी और सोना मंदिर गए हुए है "
"ठीक है बेटा तुम्हारी मम्मी मंदिर से आ जाए तो मुझे व्हाट्सप्प पर मैसेज डाल देना मैं कॉल कर लूँगा अब तुम सो जाओ आराम से मुझे ऑफिस जाना है " आकाश ने कहा और फ़ोन रख दिया
संजीव फ़ोन रख कर मोबाइल गेम pubg में लग गया और खेलते खेलते सो गया ।
इसी तरह पूरा दिन गुज़र गया लेकिन आकाश के पास कोई मैसेज नही आया उसके बेटे का। उसे थोड़ी चिंता हुयी क्यूंकि परदेस में आदमी जरा जरा सी बात पर चिंतित हो जाता है घर पर कोई फ़ोन ना उठाय तब या फिर घर से कोई मेसेज ना आये तब ।
इसलिए आकाश ने दोबारा संजीव को कॉल की उस समय संजीव pubg खेल रहा था जो की एक ऑनलाइन गेम है । अपने पापा का बार बार फ़ोन आता देख वो उसे काट देता लेकिन फ़ोन नही उठाता ।
जब काफी देर बाद उसका गेम ख़त्म हो गया और उसके पिता ने दोबारा फ़ोन किया तब संजीव बोला " सॉरी पापा वो एक ऑनलाइन क्लास चल रही थी जिस वजह से आपका फ़ोन काट रहा था पापा मम्मी बाहर बाजार गयी है और सोना भी उनके साथ है और मैं बाहर जा रहा हूँ खेलने दोस्तों के साथ शाम को आऊंगा तो बात करा दूंगा अच्छा पापा रखता हूँ ये कह कर संजीव ने फ़ोन रख दिया।
आकाश सोच में था की आखिर उसकी पत्नि जानकी उससे बात क्यू नही कर रही है वो तो जब तक जान ना ले की मैं केसा हूँ उसे नींद नही आती है , शायद संजीव अपने मोबाइल में व्यस्त होगा इस वजह से नही कर रही होगी उसने भी तो अभी मोबाइल लिया है 9 में अव्वल आने पर मेरी तरफ से उपहार था उसके लिए । उसकी माँ तो मना कर रही थी लेकिन बेटे की ज़िद्द थी की उसे एंड्राइड मोबाइल लेना है और वैसे भी ये सब पैसा कमा किसके लिए रहा हूँ अपनी औलाद के लिए तो उसकी छोटी छोटी ख्वाहिश को पूरा करना भी तो मेरी ज़िम्मेदारी है ।
इसी तरह दो दिन गुज़र गए लेकिन आकाश की बात अपनी पत्नि जानकी से ना हो पायी जब जब वो संजीव से उसकी माँ और बहन का पूछता तब तब वो कोई बहाना बना देता और फ़ोन रख देता।
अब आकाश की चिंता बहुत बढ़ गयी जो पत्नि उसे सुबह से लेकर शाम तक दस बार कॉल और मेसेज करती थी आज उसने तीन दिन से बात नही की ऐसा कैसे हो सकता है जरूर दाल में कुछ काला है ।
आकाश ने अपने दोस्त अमर को फ़ोन किया जो उसी शहर में रहता है और कहा " यार अमर तेरी भाभी और भतीजी से तीन दिन से बात नही हुयी कहने को तो संजीव के पास मोबाइल है और वो बता रहा था की माँ का मोबाइल बाथरूम में गिर गया था लेकिन यार तीन दिन हो गए जानकी ने मुझसे बात नही की संजीव भी कुछ घबरा सा जाता है जब मैं उससे उसकी माँ और बहन का पूछता हूँ. भाई तू एक बार जाकर देख सकता है की माजरा क्या है । मैं यूं अचानक परदेस से आ नही सकता "
"अरे भाई तू परेशान मत हो मैं अभी बाहर हूँ दोपहर तक तेरे घर हो आऊंगा परेशान मत हो सब ठीक होगा " अमर ने कहा और दिलासा देकर फ़ोन रख दिया
अब आकाश बस अमर के फ़ोन का इंतज़ार कर रहा था क्यूंकि संजीव फ़ोन काट रहा था उसका।
दोपहर हो चली थी अमर जो की आकाश के घर की और चल रहा था । उसके घर पंहुचा उसने दरवाज़ा खटखटाया ।
संजीव अंदर pubg खेल रहा था उसने खाना आर्डर किया था वो समझा उसका खाना आ गया और वो बाहर की तरफ दौड़ा लेकिन जैसे ही उसने दरवाज़ा खोला और सामने अपने अमर चाचा को खड़े देखा तो घबरा गया और बोला " च,,,, च,,, च,,,,, चाचू आप यहाँ और कैसे "
"बेटा संजीव तुम्हारे पापा का फ़ोन आया था तुम्हारी मम्मी से बात नही हुयी है उनकी, क्या वो घर पर है" अमर ने पूछा
संजीव घबरा कर और हकलाते हुए कहता " म,,, म,,, म,,, मम्मी और सोना तो मंदिर गए है और शाम को आएंगे "
"मंदिर वो भी दोपहर में," अमर ने पूछा
तभी अमर को एक अजीब सी गंद महसूस हुयी जो की मास सड़ने जैसी थी और अंदर से कुछ अजीब सी आवाज़े आ रही थी ।
अमर समझ गया कुछ तो गड़बड़ है उसने अंदर घुसना चाहा लेकिन संजीव उसे अंदर जाने से रोकने लगा और बोला " चाचू अंदर मत आओ मम्मी अभी सफाई करके गयी है और किसी को भी अंदर आने से मना किया है "
अमर उसने उसकी एक ना सुनी और धक्का देकर अंदर आ गया और उस कमरे की और चला जहाँ से गंदी बदबू आ रही थी और कुछ खटर पटर की आवाज़ भी आ रही थी ।
अमर ने जैसे ही दरवाज़ा खोला अपने मुँह पर हाथ रख लिया क्यूंकि उस कमरे से इतनी बदबू आ रही थी मानो कोई लाश अंदर सड़ रही हो।
वो अंदर आया और लाइट ऑन की तो उसके होश उड़ गए सामने जानकी की लाश पड़ी थी और उसके पेट से खून निकल रहा था । और वही कुर्सी से बंधी उसकी 8 साल की बेटी सोना थी ।
अमर को समझ नही आ रहा था की ये सब किसने किया और उसने सोना को खोला जो काफी डरी हुयी थी और अपने भाई से डर रही थी और अमर के सीने से लग गयी और बोली " चाचू हमें बचा लो "
अमर ने उसे चुप कराया और पूछा की आखिर ये सब किसने किया।
संजीव जो घबरा रहा था अपनी जेब से छुरी निकाली और बोला " चाचू आप यहाँ से जाओ वरना मैं आपको भी मार दूंगा और इस सोना को भी जैसे मम्मी को मारा था मेने "
"जानकी को तुमने मारा संजीव ये क्या कर दिया तुमने, लेकिन क्यू मारा वो तुम्हारी माँ थी " अमर ने पूछा
सोना उसके सीने से डरी हुयी लगी थी और बोली " भाई ने मम्मी को चाकू से मारा और मुझे इस कमरे में बांध दिया "
अमर के रोंगटे खड़े हो गए उसे समझ नही आ रहा था की एक 14 साल का लड़का इस तरह की वारदात क्यू और कैसे अंजाम दे सकता है अपनी माँ को ही मार दिया।
अमर ने संजीव के खींच कर तमाचा मारा और कहा " बता क्यू मारा अपनी सगी माँ को तूने , तेरे हाथ नही कापे इस तरह की साजिश अंजाम देते हुए और तीन दिन से अपनी छोटी बहन को कमरे में बंद कर दिया उसकी माँ की लाश के साथ आखिर क्या वजह थी जो तूने उन्हें मार डाला "
संजीव की आँखों में आंसू थे और बोला " मेरी माँ मुझे pubg नही खेलने दे रही थी जब भी pubg खेलता वो मेरा मोबाइल छीन लेती या फिर wi fi बंद कर देती जिस वजह से मैं pubg नही खेल पा रहा था और मेरे दोस्त मुझे ना जाने क्या क्या कह रहे थे ।
तीन दिन पहले जब मैं pubg की आखिरी स्टेज पर था तब माँ ने wi fi बंद कर दिया ये देख मुझे गुस्सा आया और मेने अपने आप को pubg का खिलाडी समझ लिया और गुस्से में आकर रसोई में काम कर रही अपनी माँ को वहा रखे चाकू से रोंद दिया और जब वो मर गयी तो उसे सोना के साथ बंद कर दिया क्यूंकि सोना सब जानती थी उसने देख लिया था मुझे माँ को मारते हुए । "
"हाय! राम ये तूने क्या कर दिया एक गेम के चक्कर में अपनी माँ को ही मार दिया नही इसमें गलती तेरी नही तेरे माँ बाप की है जिन्होंने इस कच्ची उम्र में तेरे हाथ में पूरी दुनिया रख दी जिसमे अच्छी और बुरी सारी चीज़े है ।
गुनेहगार सिर्फ तू नही तेरे माँ बाप भी है और साथ में तेरी माँ के गुनेहगार वो गेम बनाने वाले भी है जिन्होंने चंद पैसो के लालच में ऐसा गेम बनाया जिससे सिर्फ अहिंसा ही सीखी जा सकती है ।
तेरी माँ का गुनेहगार सिर्फ तू ही नही तेरा पिता भी है जिसने तेरे हाथ में मोबाइल दिया और wi fi भी लगा कर दिया और खुद परदेस में बैठा है उसे क्या पता उसके पीछे उसके बच्चे क्या क्या वारदात अंजाम देना सीख रहे है ।
तेरे इस कांड में कोई एक गुनेहगार नही है , सब लोग गुनेहगार है असली गुनेहगार कौन है ये बताना मुश्किल है लेकिन अभी सिर्फ तू गुनेहगार है क्यूंकि तूने वारदात को अंजाम दिया बाकी सब लोग गुनाह करके बच गए और फसा तू ।
अब बेटा सारी उम्र जैल के पीछे गुज़ारना। पहले बच्चा सुधार घर जाना उसके बाद बढ़ो की जैल " अमर ने कहा
अमर ने सब कुछ आकाश को बता दिया पुलिस आ गयी थी आकाश भी आ गया था और वो अपने आप को जानकी का गुनेहगार समझ रहा था क्यूंकि उसने मना किया था बेटे को फ़ोन देने के लिए लेकिन उसने ही उसे फ़ोन के पैसे भेजे थे असली गुनेहगार मैं हूँ मुझे भी ले चलो ।
लेकिन हमारा कानून सिर्फ उसे ही सजा देता है जो गुनाह करता है वो उसे कभी सजा नही देता जो किसी को गुनाह करने की और उकसाता है चाहे वो मोबाइल में नए नए ऑनलाइन गेम बनाने वाले हो, अश्लील वेब सीरीज बनाने वाले हो जिन्हे देख कर आज कल का युवा उत्सुक हो जाता है और बलात्कार जैसे गुनाह को अंजाम देकर गुनेहगार बन जाता है जबकी असली गुनेहगार तो वो है जिसने उसे इस तरह की अश्लील वीडियोस दिखाई और बनायीं।
संजीव ने गुनाह कबूल कर लिया और उसकी बहन ने भी सब कुछ बता दिया था जिसके आधार पर पहले संजीव को 18 बरस का होने तक बच्चा सुधार घर में रखा उसके बाद उसे जैल ले जाने का फरमान निकाला गया ।
Note = ये कहानी सत्य घटना पर आधारित है अभी अभी मेने कुछ हाफ्ते पहले ये न्यूज़ देखी तो सोचा कहानी बना दू इसमें सारे पात्र और जगह काल्पनिक है और नाम भी ये सिर्फ कहानी बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए है ।
कृप्या अपने बच्चे की कच्ची उम्र में अगर वो मोबाइल मांगे तो जलता कोयला उसके हाथ में रखदे जो शायद उसे इतना नुकसान नही पहुंचएगा जितना की मोबाइल उसे नुकसान पंहुचा सकता है ।
हम लोग भी स्कूल कॉलेज जाते थे हमारे भी दोस्त थे हमने भी पढ़ाई की थी लेकिन हमें तो कभी इस मोबाइल की ज़रूरत नही पड़ी आज कल के माँ बाप बच्चों को मोबाइल दिला देते है और पूछने पर कहते है पढ़ाई में जरूरत होती है मोबाइल की।
हमें तो कभी ज़रुरत नही पड़ी मोबाइल की हमारे माँ बाप अनपढ़ थे फिर भी वो आज कल के पढ़े लिखें माँ बाप से कही बेहतर थे जो जानते थे की उनके बच्चे के लिए क्या सही और क्या गलत है । कृप्या अपने बच्चों को मोबाइल से दूर रखे जब तक उन्हें समझ ना आ जाए क्या सही और क्या गलत है । कृप्या संयुक्त परिवार में रहे ताकि अगर माँ बाप कही बाहर जा रहे है तो घर पर उनके दादा दादी या चाचा और बुआ की निगरानी में रहे बच्चे ।
प्रतियोगिता हेतु लिखी कहानी
Punam verma
24-Jun-2022 11:26 AM
Nice
Reply
Shrishti pandey
24-Jun-2022 10:58 AM
Nice
Reply
Abhinav ji
24-Jun-2022 07:50 AM
Very nice 👍👍👏
Reply