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लेखनी प्रतियोगिता -23-Jun-2022

खुद को आसान कर रही हो ना
हम पे एहसान कर रही हो ना
ज़िन्दगी हसरतों की मय्यत है
फिर भी अरमान कर रही हो ना
नींद, सपने, सुकून, उम्मीदें
कितना नुक्सान कर रही हो ना
हम ने समझा है प्यार, पर तुम तो 
जान-पहचान कर रही हो ना!

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6 Comments

Punam verma

24-Jun-2022 11:18 AM

Nice

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Shrishti pandey

24-Jun-2022 10:42 AM

Nicr

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Abhinav ji

24-Jun-2022 07:40 AM

Nice👍

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