बेखुदी कर जरा!
बांटकर हिस्सों में रक्खा है, अंधेरों में क्या पाया तुमने
सोचकर देखना जरा, टूटना भला, क्यों गँवाया तुमने
तू ही सबकुछ तो नहीं, क्यों खुदी कर जमाया तुमने
'बेखुदी' कर जरा, देख क्या खोया क्या पाया तुमने!
खुदा खुद को बना लिया, वफ़ा लेकर दगा दिया
हँसाया जिस किसी ने तुझे, तूने उसे रुला दिया
अपने रंगीन दीवारों में, झाँककर देखना जरा
कितनो की खुशियों को, तूने इसमें चिनवा दिया।
ज़ुल्म अपने तू रोक दे, डर थोड़ा रब के कहर से
जरा देख कितने मासूमों पर है कहर बरपाया तुमने
तू ही सबकुछ तो नहीं, क्यों खुदी कर जमाया तुमने
'बेखुदी' कर जरा, देख क्या खोया क्या पाया तुमने!
हिसाब एक दिन जो होगा, जवाब तेरा क्या होगा
खुदा के सामने जिस दिन, सिर तेरा झुका होगा
अहं के मद में तू था डूबा, आँसू कभी न देख पाया
रे खुदगर्ज सोच, भला अंजाम तेरा क्या होगा?
डर जरा अंजाम से अपने, पनाह ले-ले उस रब की
रब की जो रहमत न मिली , सोचना क्या पाया तुमने
तू ही सबकुछ तो नहीं, क्यों खुदी कर जमाया तुमने
'बेखुदी' कर जरा, देख क्या खोया क्या पाया तुमने!
बेखुदी कर जरा, बिन अपने मतलब कुछ कर के देख
आँसुओ को पोंछना जरा, मिला सुकूँ क्या कर के देख
दिल तेरे पास भी है, बेवजह उसे इतना पत्थर न बना
कुछ बेवजह कभी, किसी को हँसा कर के देख।
वो जो बैठा है ऊपर, जो सबकुछ देखता है रहता
रहमत उसकी हासिल हो, खुदको ऐसा बनाया तुमने?
तू ही सबकुछ तो नहीं, क्यों खुदी कर जमाया तुमने
'बेखुदी' कर जरा, देख क्या खोया क्या पाया तुमने!
#MJ
#प्रतियोगिता
©मनोज कुमार"MJ"
Aliya khan
29-Jul-2021 09:03 AM
Wah
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Bharat Singh rawat
27-Jul-2021 07:23 PM
शानदार
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Seema Priyadarshini sahay
27-Jul-2021 04:56 PM
बेमिसाल पंक्तियां
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मनोज कुमार "MJ"
27-Jul-2021 07:03 PM
शुक्रिया
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