लेखनी कहानी -24-Jun-2022 अटुट रिश्ता
पलक बेटा दरवाजा खोल....।
कमरे के बाहर खड़ी उसकी माँ अनिता पिछले दस मिनट से गुहार लगा रहीं थीं पर पलक ने दरवाजा नहीं खोला...। तभी उसका बड़ा भाई विक्रम आया जिसे अनिता ने ही बुलाया था...।
विक्रम :- ओए.... दरवाजा खोल...जल्दी... वरना तोड़ दूंगा इसे...। ये बेफालतू के नाटक जाकर अब तेरे जोकर के सामने करना.... मेरे घर में ये सब नहीं चलेगा... चल निकल जल्दी बाहर...।
पलक दरवाजा खोलकर बाहर हॉल में आ गई बिना कुछ बोले...।
अनिता उसके पीछे पीछे आई...।
पलक मुंह चढ़ाकर सोफे पर बैठ गई...।
अनिता :- अरे हुआ क्या कुछ बताएगी भी..!
पलक गुस्से से :- आपको नही पता क्या हुआ हैं..!
अनिता :- हां पता है पर इसमें इतना नाराज होने की क्या बात हैं..। एक न एक दिन तो सभी को शादी करनी ही हैं ना..।
पलक नाराज होते हुए :- हां... पता हैं... लेकिन इतनी भी क्या जल्दी हैं मम्मी... मेरी पढ़ाई तो पूरी हो जाने दिजिए..। अभी तो मेरा कालेज शुरू हुआ हैं...। कम से कम कालेज की पढ़ाई तो पूरी कर लेने दी होतीं..।
विक्रम बाहर आता हुआ :- कौन से झंडे गाड़ लेगी... कालेज की पढ़ाई करके...। करना तो तुझे ससुराल में चूल्हा चौका ही हैं ना...।
पलक बिगड़ते हुए :- तू चुप कर... मैं तेरे से बात नहीं कर रही हूँ...। तूने खुद ने कभी ठीक से एक किताब पढ़ी हो तो तुझे पता भी चले पढ़ाई क्या होतीं हैं...! पढ़ाई के मामले में तु तो ज्ञान देना नहीं...।
विक्रम :- बिना पढ़ाई किए भी अच्छा खासा बिजनेस कर रहा हूँ समझी... तेरे ये जो खर्चे हैं ना सब मेरी वजह से ही पूरे हो रहे हैं ....।आई बड़ी......मुझसे ज्ञान की बात करतीं हैं..।
पलक गुस्से से खड़े होते हुए :- रहने दे... रहने दे... बिजनेस... माय फूट़.... ये तो संजीव अंकल की मेहरबानी हैं जो तुझ जैसे अनपढ़ गधे को अपनी कम्पनी में रखा हैं...।
विक्रम बिगड़ते हुए :- ओए... छोटी हैं... छोटी बन कर रह... ज्यादा बकवास की ना तो यहीं लप्पड़ लगा दूंगा...।
लेकिन दोनों भाई बहन कहाँ सुनने वाले थे... बस एक दूसरे पर चिल्लाने और इल्जाम लगाते रहें...। बात बिगड़ती देख अनिता जोर से चीखी... :- बस करो तुम दोनों... चुप.... बिल्कुल चुप...। ये कोई तरीका हैं आपस में बात करने का... ये ही संस्कार दिए हैं मैने तुमको...।जब देखों तब हर बात पर झगड़ते रहते हो....। कभी प्यार से बैठकर दो लब्ज़ बात की हैं..! विकी तू जा अभी काम पर.. इसी वक्त...। पलक तुझे देखने कल लड़कें वाले आ रहें हैं बस....। इस मामले में मुझे ओर कोई बात नहीं करनी..।
विक्रम :- चल जा अपना थोपड़ा थोड़ा सही कर ले...। ऐसी भूतनी को देखकर तो वो भी डर जाएंगे..। ले ये पैसे रख... पार्लर होकर आ.. चुड़ैल लग रहीं हैं...। (विक्रम पलक के हाथों में पैसे देकर बाहर चला गया)
अनिता उसके जाने के बाद :- देखा.... ये होता है भाई... इतना झगड़ा किया.. गुस्सा किया... फिर भी तेरा सोच रहा हैं..।
पलक :- हां.. हां... आप तो उसी की साईड लो... बेटा हैं ना.... कमाकर देगा... वंश बढ़ाएगा...। मैं.... मैं होतीं ही कौन हूँ...। पराया धन...। मुझे तो बस यहाँ से निकालने के तरीके ढूंढो..। ये रखिये आपके पैसे... नहीं जाना मुझे पार्लर वार्लर...(अनिता के हाथों में पैसे देते हुए ) ...।
अनिता :- पलक... बस बेटा बहुत हो गया...। तेरी मासी ने रिश्ता भेजा हैं..। सिर्फ देखने ही तो आ रहें हैं... पक्का थोड़ी कर रहें हैं...। पसंद आए तो ठीक... वरना मना कर सकते हैं ना..।
पलक :- मम्मी आप समझ नहीं रहीं हो...। मैं मना नही कर रहीं हूँ... मुझे भी पता हैं हर लड़की की तरह मुझे शादी करनी ही हैं... मैं सिर्फ इतना कह रहीं हूँ... अभी क्यूँ... एक बार मेरी पढ़ाई पूरी हो जाने देते ना...।
अनिता :- देख बेटा.... घर अच्छा मिला... लोग अच्छे मिले... और फिर मासी के रिश्ते में ही हैं तो एकबार देख लेने में क्या तकलीफ हैं..! तुझे तो पता हैं ना बेटा तेरे पापा के जाने के बाद हमने कितनी तकलीफे देखी हैं...। अगर संजीव अंकल मदद नहीं करते तो आज हम ना जाने कैसे रहते...और फिर तेरे अंकल ने भी हामी भर दी हैं...। उनकी बात तो मानेगीं ना...।
पलक :- बात मानने या ना मानने की नहीं हैं मम्मी...। भाई की करवा दो ना... बड़ा हैं ना वो मुझसे.. यूं तो हर बात पर पहले उसका सोचते हो..।
अनिता मुस्कुराते हुए :- ये तेरे भाई की ही जिद्द हैं की पहले तेरी शादी हो...। अब ज्यादा सोच मत...। ये पैसे रख अपने लिए अच्छा सा सूट खरीद ले और जो भी तुझे जरुरी लगे खरीद ले खुद के लिए..। लड़की की जिंदगी का सबसे प्यारा अहसास होता हैं ये... जब वो अपने हमसफ़र को पहली बार देखतीं हैं..। मैंने फोटो भी मंगवाये थे तेरी मासी से लेकिन अक्षय ने मना कर दिया...। उसका कहना हैं की इस फिल्टर के जमाने में फोटो तो सबकी ही अच्छी आतीं है...। इसलिए रुबरु देख कर ही डिसीजन लेगा...।
पलक :- कहीं का राजकुमार हैं क्या ......अक्षय नाम होने से हिरो नहीं बन जाएगा.....इतना भाव खा रहा हैं...। फोटो भेजने से कौनसी नजर लग जानी हैं...। सेल्फी के जमाने में फोटो के लिए ऐसे नखरे..। लगता हैं खुद अजीब दिखता होगा... तभी डर रहा हैं...।
अनिता:- अब वो कैसा दिखता है... कैसा नहीं...। कल खुद ही देख लेना....।
पलक पैर पटकते हुए :- ओर करभी क्या सकतीं हूँ... सबने मिलकर पूरी प्लानिंग जो कर ली हैं... मुझे यहाँ से निकालने की...। मैं जा रहीं हूँ अभी निक्की के साथ मार्केट.. .।( निक्की पलक की दोस्त)
अगले दिन.....
शाम के लगभग पांच बजे.....
पलक तैयार होकर अपने कमरे में बैठीं थीं...अपनी दोस्त निक्की के साथ...।
कुछ ही देर में बाहर हॉल में से आवाज आने लगी..।
निक्की :- लगता हैं वो लोग आ गए...। रुक मैं देख कर आतीं हूँ...।
निक्की बाहर आई तो देखा लड़के वाले ही थें..। वो जाकर अनिता की मदद करते हुए सबसे मिलने लगी..। विक्रम और संजीव भी वहीं थें...। कुछ देर सभी को बिठाकर... विक्रम मुंह लटकाता हुआ निक्की के साथ भीतर आया ...।
निक्की को देख पलक ने पुछा :- आ गए क्या...? कैसा हैं ...?
निक्की :- यार सच बोलूं.... मना कर देना...। लड़का बिल्कुल पागल दिखता हैं...। शक्ल तो ठीक हैं यार पर पान खाता हैं...।
विक्रम :- हां पलकी....उसके पूरे दांत लाल लाल हैं...और तो और बाल भी कम हैं सिर पर...। टोपी पहनकर रखी हैं...।वो तो पसीना साफ़ करने के लिए कैप उतारी तब मैनें देख लिया..।
निक्की :- यार तेरी मासी ने क्या सोचकर रिश्ता भेजा हैं .। अब समझी फोटो क्यूँ नहीं भेज रहा था..। मुझे तो बिल्कुल पसंद नहीं हैं..।
पलक :- व्हाट...। पान.... मुझे पान खाने वाले लोग तो बिल्कुल भी नहीं पसंद...। भाई आपको तो पता हैं ना ये बात...। मेरे मना करने का कारण हैं अभी तो...। रही बात मासी की तो उनको तो मैं बताऊंगी अभी...। (कहते कहते पलक खिड़की की तरफ़ पलट कर जाने लगी)
उसके पलटते ही निक्की और विक्रम मुस्कुराने लगे...।
विक्रम अपनी हंसी नहीं रोक पा रहा था इसलिए वो वहां से बाहर चला गया..।
पलक कुछ समझतीं या देखती इससे पहले अनिता भीतर आई और बोलीं :- निक्की.... पलक को बाहर ले आओ बेटा..।
निक्की :- जी आंटी...।
पलक अनिता की आवाज सुन पलटी और बोलीं :- मम्मी..। क्या हुआ हैं आपको...! आप अभी भी मुझे बाहर भुला रहीं हैं...!
अनिता कुछ समझी नहीं :- पलक.... मेहमानों के आगे कोई तमाशा नहीं चुपचाप बाहर आओ.... मुझे बहुत काम हैं..।
अनिता वहाँ से चलीं गई...।
पलक :- हद हैं यार... मम्मी को हो क्या गया हैं.. वो अच्छे से जानती हैं मुझे ऐसे लड़कें बिल्कुल पसंद नहीं... फिर भी..।
निक्की :- अरे यार अब उनका दिल रखने के लिए एक बार देख ले लड़कें को.... फिर मना कर देना... सिम्पल...।
पलक :- हम्म... ठीक हैं चल...उस लाल दांत वाले लंगूर को देखते हैं..।
पलक निक्की के साथ बाहर आई...। वो वहां मौजूद सभी लोगों से मिली फिर अक्षय के पास रखी कुर्सी पर सभी के बोलने पर बैठ गई...। वो चोर नजरों से बार बार अक्षय को देख रहीं थीं की कब ये कुछ बोले या अपना मुंह खोले और अपनी कैप उतारे...ताकि वो उसके दांत देख सकें और मना कर सकें...।
अनिता :- पलक.... बेटा चाय सर्व करके दो अक्षय को...।
पलक :- जी... मम्मी..।
पलक ने केटली में से चाय कप में डालकर अक्षय को दी..।
अक्षय ने जैसे ही कप लेते हुए थैंक्स कहा .... पलक चीख़ पड़ी... अरे इसके दांत तो साफ़ हैं...।ये कहते कहते उसके हाथ से कप भी अक्षय के जूतों पर गिर पड़ा...।
ये सुनकर और देखकर सभी आश्चर्य से पलक की ओर देखने लगे...।
अनीता :- क्या हुआ पलक...। सब ठीक तो हैं...। ये क्या बोल रहीं थीं तुम...।
पलक अचानक हुवे इस वाक्ये से खुद कुछ समझ नहीं पा रहीं थीं...। वो बिना कुछ बोले निक्की को घुरने लगी...।
निक्की ये सब देखकर अब अपनी हंसी रोक नहीं पाई और खिलखिलाकर हंसते हुए बोलीं :- अरे कुछ नहीं आंटी...। दरअसल बात ये हैं की.... (निक्की ने पान और लाल दांत वाली बात सभी को बताई) ....। ये सुनकर सभी को हंसी आ गई...।
सब पलक की ओर देखकर हंसने लगे...। पलक ने अपनी आंखें झुका ली और जमीन में देखने लगी...।
अक्षय :- डोंट वैरी... पलक... मैं कोई भी व्यसन नहीं करता हूँ...। ना ही कभी करुंगा...। आइ प्रोमिस...और रहीं बात कैप की तो वो पहनना मुझे पसंद हैं..। लेकिन बाल अच्छे खासे हैं मेरे...। (कैप उतारकर दिखाते हुवे) .... ये देखो...। वैसे अगर आपको पसंद नहीं हैं तो मैं कैप पहननी छोड़ दुंगा...।
पलक शर्माते हुवे :- न... नहीं.... ऐसा... ऐसा... कुछ नहीं हैं....। वो... वो तो.... भाई... ने...।
हंसी मजाक के बीच दोनों का रिश्ता तय हुआ...।
उसी दिन दोनों की सगाई कर दी गई.. और चार महीने बाद शादी का मुहुर्त निकला...।
सब कुछ अच्छे से हो जाने के बाद वो लोग वापस चले गए...। उसी रात... विक्रम पलक के कमरे में गया...।
पलक गहरी नींद सो रहीं थीं..। विक्रम पलक के नजदीक गया और उसे कुछ पल गौऱ से देखता रहा...। फिर पलक के सिर पर हाथ फेरकर उसके माथे को चुमकर बाहर आ रहा था तो अनिता को पीछे खड़ा देख वहाँ से तुरंत बाहर की ओर चल दिया...।
अनिता भी उसके पीछे आई. ..।
विक्रम हॉल में सोफे पर जाकर बैठा...। अनिता जैसे ही उसके नजदीक आई... विक्रम उसके गले लगकर रोने लगा...।
रोते रोते विक्रम बोला :- मम्मी... पलकी सच में चलीं जाएगी क्या...! मैं उसके बिना कैसे रह पाऊंगा... ! मैं लड़ाई किसके साथ करुंगा..! मैं नहीं रह पाऊंगा मम्मी... मैं नहीं रह पाऊंगा..।
अनिता :- मैं जानती हूँ बेटा तू उससे कितना प्यार करता हैं.. । विदाई में पलक से ज्यादा तू रोने वाला हैं...। लेकिन बेटा ये तो दुनिया का दस्तुर हैं...। लड़कियों को तो जाना ही पड़ता है...। मैं भी तो अपना घर छोड़कर आई थीं ना...। तेरी होने वाली बीवी भी तो आएगी ना..। बस अब जितना टाइम वो हैं... उसके साथ यादगार पल बिता..।
विक्रम अभी भी रो रहा था :- उसके साथ हर एक पल मेरे लिए यादगार हैं मम्मी...। मैं रह ही नहीं सकता उससे लड़े बिना..। जब तक उसकों छेड़ ना दूं... गुस्सा ना दिला दूँ... मेरा काम में मन ही नहीं लगता...।
अनिता... प्यार से विक्रम को ढांढस बंधा रहीं थीं की तभी पलक दौड़ती हुई वहाँ आई...। उसने विक्रम की सारी बातें सुन ली थीं..। वो विक्रम के छूने से ही उठ गई थीं और तबसे छिपकर सब सुन रहीं थीं..।
पलक ने विक्रम को गले से लगा लिया और दोनों भाई बहन आज पहली बार इस तरह से रो रहे थे..। ये देख अनिता की भी आंखें भर आई..।
विक्रम और पलक के भाई बहन के रिश्ते को..
समर्पित एक पेशकश...।
🤫
09-Jul-2022 01:03 PM
Intresting
Reply
Pallavi
29-Jun-2022 10:35 PM
Nice post 👍
Reply
Gunjan Kamal
24-Jun-2022 06:02 PM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌🙏🏻
Reply