लेखनी प्रतियोगिता -26-Jun-2022 जैसा कर्म वैसा भरण
रचीयता-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक-जैसा कर्म वैसा भरण
कर्म की गठरी लादकर चल रहा इंसान
जैसे करोगे वैसा भरोगे यही विधाता का विधान
रखो अपने विचारों में सहजता
तभी मिलती है कर्मों की सफलता
कर्म की ज्योति जला
होगा दुनिया में उजाला
हे इंसान! होगा तेरा ही बोल बाला
राम और रावण के कर्म का कर रहे है हम बखान
राम ने बोये खेत, उठ गए फल
रावण ने बोये खेत, उजड़ गए वन
रावण ने किया अहंकार कर्म
यही से हुआ आरंभ जीवन
दिखाई रावण ने अपनी अकड़
हुआ था उसके जीवन का पतन
वर्चस्व हो गया था है अहम
चक्र जब घुमा बदल दिया वक्त
अयोध्या से लौटे जब राम भगवन
माता कौशल्या ने किया प्रश्न
रावण का हो गया मरण
श्री राम ने दिया अपना वरण
रावण की सुनाता हूं मैं गाथा
महा ज्ञानी ,महा प्रतापी, महा बलशाली, था बड़ा बल दाता
प्रखंड पंडित, महाशक्ति चारों वेदों के विधान के थे ज्ञाता
शिव तांडव स्त्रोत के थे रचयिता
रावण बन बैठा अहंकारी
उसके कर्म ने किया उसका सर्वनाश
हो गया उसका विनाश
अब बताते हैं तुम्हें माता
"मैं" हो गया था उसका बड़ा
ले बैठा था भगवान का दर्जा
मिली है उसको उसी की सजा
"मैं", "अहंकार", "अहम" को समझ बैठा अपनी कर्मठता
बढ़ गई थी इन सब की प्रचंडता
पर नहीं किसी को बख्शा
हो गया रावण का खात्मा
ना करो तुम सांसों का एतबार
छोड़ देता है अंत में साथ
अहंकार ना कर धन का
धर्म में कर तू कर्म
अच्छे कर्म में मिलेगी सनातन
बुरे कर्म से होगा परित्याग
हे मानव! भगवान की भी होती है कर्मों की अदालत
वहां नहीं होती कोई वकालत
हर किसी के कर्म का रखता है वो हिसाब
ना होती कोई अपनी जान पहचान
एक बार मिल जाए सजा
नहीं होती है वहां जमानत
जो करे अच्छा उसे मिलती है जन्नत
जो करे बुरा उसे मिलता है नर्क
इसलिए गीता में भीष्म पितामह ने कहा
कर्मण फल निवृतिं स्वयं श्राति कारकः।
प्रत्यक्षं दृश्यते लोके कृतस्याकृतस्य च।।
शुभेन कर्मणा सोख्म दुखं पापेन कर्मणा।
कृतं फलति सर्वत्र नाकतृं भुज्यते क्वंचित।।
Punam verma
27-Jun-2022 08:17 AM
Very nice
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Abhinav ji
27-Jun-2022 07:33 AM
Very nice
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Swati chourasia
27-Jun-2022 06:32 AM
बहुत ही बेहतरीन रचना 👌👌
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