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याद

ये इंतज़ार की घड़ी भी लम्बी लगती हैं
जब तू कही चली जाती है
सोचता हूं सो जाए अब
लेकिन आँखे बंद करते ही तेरी याद आ जाती हैं।

सालो से बंद पड़ा था मेरे दिल का कमरा
लगता हैं अब उस कमरे को तोड़कर नया बना दु तेरा बसेरा
चाहता तो बहुत कुछ हूं
पर डरता हूं पहली की तरह खो न दूं उसको दोबारा।

साजिश तो करता है ऊपरवाला हजार
लोग तो करते ही है हर बातों का प्रचार
मैं तो चाहता हूँ तुम सिर्फ मेरी बनो
तब मैं कह पाउंगा मेरा जीवन हो गया साकार



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2 Comments

Aliya khan

02-Aug-2021 09:52 AM

Nice

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Ravi Goyal

29-Jul-2021 05:06 PM

Bahut sunder 👌👌

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