रंग
🌹🌹🌹🌹नग़मा 🌹🌹🌹🌹
नज़र-नज़र से मिला के देखो ज़रा ये घुँघटा हटा के देखो।
बसे हो तुम ही नज़र में मेरी ज़रा ये नज़रें उठा के देखो।
मुह़ब्बतों की किताब हो तुम ह़सीन कोई गुलाब हो तुम।
नहीं है जिसकी मिसाल कोई वही छलकती शराब हो तुम।
यक़ीन आयेगा तुमको मेरा कभी ये दरपन उठा के देखो।
नज़र-नज़र से मिला के देखो ज़रा घुँघटा हटा के देखो।
तुम्हीं हो दिल का क़रार दिलबर तुम्हीं हो रंग ए बहार दिलबर।
मैं कैसे जाऊँ तुम्हारे दर से तुम्ही पे दिल है निसार दिलबर।
कभी इधर भी ऐ जाने जानाँ वफ़ा का चश्मा लगा के देखो।
नज़र-नज़र से मिला के देखो ज़रा ये घुँघटा हटा के देखो।
बिना तुम्हारे है जीना मुश्किल मैं हूँ तुम्हारी नज़र से बिस्मिल।
तुम्हीं बताओ करूँ मैं अब क्या कहीं बहलता नहीं है यह दिल।
ज़रा सी ज़हमत उठाओ तुम भी नक़ाब रुख़ से उठा के देखो।
नज़र-नज़र से मिला के देखो ज़रा ये घुँघटा हटा के देखो।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ पीपलसाना मुरादाबाद।
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Seema Priyadarshini sahay
01-Jul-2022 10:52 AM
बहुत खूबसूरत
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Shnaya
29-Jun-2022 03:31 PM
बहुत खूब
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Swati chourasia
29-Jun-2022 06:41 AM
बहुत ही सुंदर रचना 👌
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