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वतन के प्रति कर्तव्य!

वो अपनी जाँ पर खेलकर, हमारी जाँ बचाते हैं
बिना सोंचे कुछ सरहद पर, दुश्मन से भीड़ जाते हैं।
बिना परवाह किये अपनी, हथेली पर जाँ रखकर
वतन के ये रखवाले, अपना कर्तव्य निभाते हैं।
बंधे हुए हैं कई नियम कानूनी के बंधन से मगर
मौका मिलते ही दुश्मन के नाकों चने चबाते हैं
लिए दिल में तिरंगा को, हुंकारते हैं शेर से
बिना परवाह किये जाँ की, अपना कर्तव्य निभाते हैं।

देश के भीतर भरे हैं, भेड़ की खाल में भेड़िये कई
खुद को ये बहुत बड़ा देशभक्त बताते हैं
लूटकर खोखला करते रहते हैं सारे वतन को
और खुद को बड़ा समाजसेवक गिनाते हैं।
शेर की खाल ओढ़े गीदड़ आगे बढ़ते जाते हैं
कुछ इनके चाटुकार इन्हें महान बताते हैं
केवल कहने को ही हैं  ये जनता के प्रतिनिधि
भ्रम में डालते हैं बस, नहीं अपना कर्तव्य निभाते हैं।

जनता भी बहक जाती है झूठे बहकावे में आकर
दंगे - फसादों में लड़ते मरते रह जाते हैं
कभी जाति, कभी मजहब आदि को लेकर
बस दूसरों के खेल के मोहरें बनकर रह जाते हैं
पीछे कदम हटाकर कर, आगे बढ़ने की सोचते हैं
झूठे खेलों में  फंसकर बस खिलौने बन जाते हैं
निभाओ अपने पद पर  फ़र्ज़ अपना-अपना
खुद से पूछो जरा, क्या हम अपना कर्तव्य निभाते हैं।

#MJ
#प्रतियोगिता

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4 Comments

Aliya khan

02-Aug-2021 09:35 AM

Bahut khoob

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Ranjeet Shankar

30-Jul-2021 11:56 PM

🌹🌹🌹🌹🌹🌹💞💞💞💞💞💞💪💪💪💪💪✌️✌️🙏🙏

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Author sid

30-Jul-2021 10:10 PM

👏👏👏👏

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