रिश्तों की राजनीति- भाग 12
भाग 12
सान्वी रात को अभिजीत को बताती है कि अक्षय कल शाम को उनसे मिलने के लिए तैयार है। अभिजीत हैरान हो जाता है यह खबर सुनकर।
अगले दिन शाम को अभिजीत, सान्वी और अक्षय एक कैफ़े में मिलते हैं। औपचारिक बातचीत होने के बाद अभिजीत अक्षय से सवाल करता है…..तुम सान्वी के साथ अपने रिश्ते को लेकर कितने गम्भीर हो?
इतना कि मैं हम दोनों का भविष्य एक साथ देखता हूँ और उससे शादी करना चाहता हूँ।
हमारे और तुम्हारे परिवार के परिवेश में जमीन आसमान का फर्क होते हुए भी तुम मेरी बहन से शादी करना चाहते हो जबकि तुम्हें तो अमीर राजनितिक घरानों से शादी के लिए एक से बढ़कर एक लड़की मिल सकती है। ऐसे में मेरी बहन ही क्यों?
पहली बात ऐसा कहकर आप अपनी बहन को कम आँक रहे हैं और दूसरी बात….क्या आपने कभी किसी से प्यार किया है?
मैं अपनी बहन को कम नहीं आँक रहा हूँ, बल्कि सच बोल रहा हूँ। खैर प्यार के चक्करों से मैं दूर रहना ही पसन्द करता हूँ। फिलहाल मेरा ध्यान अभी करियर बनाने में है।
आपकी बहन को मैंने इसलिए अपने जीवनसाथी के रूप में चुना है क्योंकि मैं उससे प्यार करता हूँ। खैर आप यह बात नहीं समझ पाएंगे क्योंकि आप प्यार के चक्कर से कोसों दूर हैं। और कुछ पूछना बाकी है अब क्या?
तुम्हारे बाबा को पता है तुम्हारे इस फैसले के बारे में?
नहीं, सही वक़्त आने पर बता दूँगा।
तुम्हारा सही वक़्त कब आयेगा?
कॉलेज खत्म होने के बाद।
ठीक है फिर, तुम और सान्वी तब तक नहीं मिलोगे और न ही फोन पर बात करोगे।
अक्षय और सान्वी दोनों को ही अभिजीत की इस बात पर गुस्सा आ जाता है। सान्वी कुछ बोलने ही वाली होती है कि अक्षय उसे शांत रहने का इशारा करता है और अभिजीत से कहता है…..भारत में रहकर आप तालिबान वाली बातें क्यों कर रहे हैं? मुझे समझ नहीं आ रहा है। हम दोनों बालिग हैं, सही-गलत की समझ है हमें। शादी में अभी लम्बा समय है और ऐसे में एक दूसरे से बिना बात किए रहना असंभव है।
वही तो मैं भी कहना चाहता हूँ कि शादी में अभी लंबा समय है। ऐसे में एक दूसरे से रोज़ बात करना, मिलना ठीक नहीं है और फिर अभी तक तो तुमने अपने बाबा से इस बारे में बात तक नहीं की है। अगर तुम्हारे बाबा नहीं माने तो सान्वी का क्या होगा? तुम तो लड़के हो, अपने बाबा का बहाना बनाकर साफ़ निकल जाओगे, बदनामी मेरी बहन को झेलनी पड़ेगी। हम सीधे सादे लोग हैं और हमारे लिए हमारी इज्जत ही सब कुछ है।
जब तक तुम्हारे बाबा हाँ नहीं कह देते, यह तय है कि तब तक तुम दोनों नहीं मिलोगे।
अक्षय को अभिजीत की बातें सुनकर गुस्सा आ जाता है। वो झट से अपनी जगह से उठता है और कहता है…..
तुम्हारे भाई को लगता है कि अगर हम दोनों शादी से पहले एक दूसरे से ऐसे ही मिलते रहे तो कहीं मैं तुम्हारी मासूमियत का नजायज फायदा उठाकर तुम्हें बदनाम न कर दूँ। बहुत ही घटिया सोच है सान्वी तुम्हारे अभिजीत दादा की।
रिश्ते भरोसे से चलते हैं और तुम्हारे भाई को मुझ पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं। मैं चलता हूँ सान्वी, अब हम कभी नहीं मिलेंगे। आज तुम्हारे भाई की बातों से बहुत दुख पहुंचा है मुझे। न आज से मैं तुम्हें जानता हूँ ,न तुम मुझे।
सान्वी समझाने की कोशिश करती है अक्षय को यह कहकर कि उसके दादा का वो मतलब नहीं था, लेकिन अक्षय कुछ सुने बिना वहाँ से तेजी से निकल जाता है।
सान्वी का चेहरा गुस्से से तमतमा रहा होता है। वो चुपचाप अभिजीत के साथ उसकी बाइक पर बैठकर घर की ओर निकल जाती है। वो अभिजीत को रास्ते में बाइक रोकने के लिए कहती है। जैसे ही अभिजीत बाइक रोकता है, सान्वी गुस्से से बाइक पर से उतरती है और अभिजीत पर चिल्लाने लगती है…….यह क्या किया आपने दादा, अक्षय को मुझसे दूर कर दिया। आप रिश्ता जोड़ने आए थे या तोड़ने। खैर मैं भी किससे बात कर रही हूँ, जिसने जिंदगी में कभी किसी से प्यार ही नहीं किया।
उस बेचारी शरवरी की जुबान अभिजीत कहते-कहते नहीं थकती और आप उसे हमेशा नजरअंदाज करते हैं। आपने कभी प्यार किया होता तो समझते, जिससे हम प्यार करते हैं, उसे देखे बिना, बात किए बिना रहना कितना मुश्किल होता है।
आपको जो करना है कर लो लेकिन मैं अक्षय को मनाकर रहूंगी और उससे रोज मिलूंगी। देखती हूँ, कौन रोकता है मुझे?
तभी सान्वी के गाल पर कसकर एक झन्नाटेदार थप्पड़ पड़ता है और वो फफक-फफककर रोने लगती है।
और बकवास बाकी है कि खत्म हो गयी? दादा हूँ तेरा, तेरी फ़िक्र है मुझे। वो अक्षय तुझे अपनी बातों में घूमा रहा है, नज़र क्यों नहीं आता तुझे?
सान्वी कुछ कहती नहीं और रोती रहती है। उसे इस तरह से रोता देखकर अभिजीत का दिल पिघल जाता है और वो प्यार से सान्वी के सिर पर हाथ रखकर कहता है….देख सान्वी, मैं तुझ पर हाथ नहीं उठाना चाहता था लेकिन तेरी ज़िद, तेरी बातों ने मुझे गुस्सा दिला दिया। मुझे माफ़ कर दे, आई एम सॉरी सान्वी। रोना बन्द कर अब, थोड़ा सा पानी पी ले।
सान्वी अभिजीत का हाथ अपने सिर से गुस्से से हटाती है और कहती है….मुझे घर जाना है दादा।
घर पहुँचते ही सान्वी अपने कमरे में चली जाती है और गुस्से में रात का खाना भी नहीं खाती।
अभिजीत मन ही मन शुक्र मनाता है कि अच्छा है आई बाबा गाँव गए हुए हैं, वरना वो सान्वी के गाल पर पड़े उसकी उंगलियों के निशान का क्या जवाब देता?
सान्वी देर रात तक आईने में अपने चेहरे पड़े अभिजीत के थप्पड़ के निशान देखती रहती है। उसकी आँखों से आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे होते। वो मन ही मन कहती है….दादा इस थप्पड़ को मैं कभी भूलूंगी नहीं और न तुझे भूलने दूँगी।
❤सोनिया जाधव
Reyaan
29-Jun-2022 10:06 PM
बहुत खूब
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Rony
29-Jun-2022 09:44 PM
Nice
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