लेखनी:- मासिक लेखन प्रतियोगिता
विषय - रिश्तों की बदलती तस्वीर
शीर्षक - "रिश्ता एक ऐसा भी"
विद्या - कहानी
"रिश्ता एक ऐसा भी"
ये रिश्ता है बड़ा प्यारा, प्यार से भरा,
इसे कोई कभी, समझ न पाया,
कैसा ये दिल का रिश्ता, दर्द से भरा,
इस रिश्ते ने हमेशा, फर्ज निभाया ।
जिसके चार बेटे हों वह तो राजा आदमी है
दुनिया मैं और मात्र एक बेटी- रुपए पैसों से अमीर...
फिर तो कहने ही क्या!!
शान भी निराली!!
बड़े ठाठ बाट- ऊँची बड़ी सी हवेली गाँव में....
नाम खुशीलाल सेठ हमेशा ही खुश रहते....
गाँव में किसी को भी कुछ परेशानी हो सेठ
जी हैं न- बाप दादाओं की पुश्तैनी जमीन.....
आढ़तिया का धंधा वो अलग.....
सेठ जी की तो चांदी ही चांदी....
पत्नी सुलक्ष्णा- यथा नाम तथा गुण....
चारों बेटों को पढ़ाया लिखाया सो बड़ा बेटा
रमेश शहर में नोकरी करने लगा.....
दूसरा बेटा सुरेश और छोटा बेटा बृजेश पढ़ने
में बहुत होनहार सो विदेश में नोकरी करने चले
गये, तीसरे नंबर का बेटा पास के ही शहर में बैंक
में नोकरी करने लगा.....
बेटों को तो बाहर भेज कर अच्छे से पढ़ाई करवा
दी, पर राधा बिटिया को बाहर नहीं भेजा पढ़ने...
सो उसकी पढ़ाई मिडिल स्कूल तक ही हो पाई....
उसकी गाँव में ही शादी कर दी.....
बेटों की भी खूब धूमधाम से शादी कर दी थी....
तीज त्यौहार पर बेटा बहू आ जाते थे....
दो दिन मेहमानों जैसे रह कर चले जाते.....
विदेश से तो दोनों बेटे आ ही नहीं पाते....
राधा बिटिया के पतिदेव मास्टर थे सो उन्होंने
राधा का प्राईवेट तौर पर इन्टर का फार्म भरवा
दिया, पढ़ने में तो तेज थी ही सो इन्टर की परीक्षा
अव्वल नंबर से पास कर ली.....
पतिदेव ने कोशिश करके अपने ही स्कूल में
उसकी नोकरी भी लगवा ली.....
राधा का ससुराल एक छोर पर मायका दूसरे
छोर पर, पर स्कूल घर के ही पास था बीच रास्ते
में, सो कोई दिक्कत नहीं थी- दो चार दिन में
स्कूल से माँ के घर चली जाती, माँ को देखकर
मांँ से बात करके उसे बहुत सुकून मिलता.....
सासरे में उसके सास ससुर और दोनों के अलावा
कोई न था, मास्टर जी इकलौते बेटे थे.....
राधा घर का सब काम काज करके स्कूल जाती,
उसकी सासू माँ अक्सर बीमार रहती थीं....
गठिया वात के कारण उनका चलना फिरना
दूभर होता था.....
मतलब यह कि सेठ जी के सभी बच्चे अपनी
अपनी गृहस्थी में व्यस्त थे....
राखी का त्यौहार करीब था सो राधा ने एक दो
दिन पहले ही मीठा नमकीन अपने हाथों से बना
लिया था, कहना चाहिए राधा अपनी माँ की
परछांई थी, उसकी मांँ सुलक्ष्णा रसोई के काम
खुद ही करती, किसी से न करवाती- रसोई में
बाहर के किसी व्यक्ति को न आने देती- उसका
कहना था रसोई में अन्नपूर्णा माँ का वास होता
है रसोई का काम अच्छे मन से करना चाहिए,
रसोई हमेशा साफ रखना चाहिए.....
यही सब गुण राधा में भी आए थे- पर वो नोकरी
करते हुए भी सब मैनेज कर रही थी.....
इस बार राखी के त्यौहार पर जब पीहर गयी
तो अपने दोनों भाइयों को न देख कर, बहुत
दुखी हो गयी, माँ ने बताया बेटा कुछ काम की वजह
से ही नहीं आ पाए तेरे भाई- अच्छा बता पहले कभी
ऐसा हुआ क्या...? देख बेटा नोकरी
है उनकी छुट्टी न मिल पाई तो कैसे आते.....
तू दुखी न हो अपने कान्हा जी तो हैं न उनको
भी तो हर बार तू ही राखी बांधती है....
कान्हा जी क्या सोचेंगे- मैं तो यहीं हूँ मेरी फिकर
नहीं है मैं तो राखी बंधवाने की राह देख रहा हूँ....
ओ माँ गलती हो गयी- अभी थाली सजा कर
लाती हूँ अपने कान्हा जी के लिए.....
फिर शाम के समय मास्टर जी भी आ जाते हैं
उसको साथ ले जाने.....
रात का खाना खाकर जाने का समय हो जाता
है, राधा जबसे शादी हुई सो रात नहीं रुकती
थी....उसको अपनी सासू माँ की भी फिकर रहती....सुलक्ष्णा ने लड़की दामाद को कपड़े
मिठाई देकर बिदा किया......
ऐसे ही समय बीतता जा रहा था सब अपनी
अपनी गृहस्थी में रमे हुए थे, अब तो अक्सर
तीज त्यौहार पर यहाँ तक की राखी दूज पर
भी आने का भाइयों के पास समय न था -
राधा सोचती ऐसा कैसे हो सकता कि किसी
भाई के पास- त्यौहार पर भी आने का समय
नहीं है.....
आजकल सासू माँ की तकलीफ़ कुछ ज्यादा
ही बढ़ गयी थी उन्हें कुछ ओर भी प्राब्लम होने
लगीं थीं सो दोनों उन्हें शहर के अस्पताल ले
गये....डाक्टर ने जांचे बगेरह करवाईं -
बताया किडनी में इन्फेक्शन हो गया है, दवाईयां
लिख देता हूँ सो समय से देते रहिए ओर हर 15
दिन में चेकअप कराने लाना होगा......
राधा की शादी को तीन साल हो गयेपर अभी
कोई आस औलाद नहीं हो पाई, अब सासू माँ
कहती हमाए जीते जी एक तो औलाद होती
अपने पोता पोती को मुँह तो देख लेते.....
माँ जी ऐसा न कहो आप अच्छी हो जाओगी
और अपने पोता पोती का मुँह भी देखेंगी....
आजा शनिवार था सो स्कूल से जल्दी छुट्टी
हो जाती, माँ जी की तबियत के कारण राधा
पीहर नहीं जा पाई कुछ दिन से....
सो आज दोनों पति पत्नी छुट्टी होते ही राधा
के पीहर पहुँच गये, वहाँ देखा सो माँ को तेज
बुखार था दो तीन दिन से पिता जी परेशान हो रहे....
कभी खिचड़ी सो कभी दलिया.....
माँ रसोई में किसी को जाने न दे......
मांँ दो दिन से परेशान हो रहे तुम लोग भाभी
को बुला लेती... खबर करी थी बेटा पर उनको समय
नहीं है उनकी अपनी परेशानियां हैं.....
खैर कोई बात नहीं अब मैं आ गयी सो सब
काम निपटा कर जाऊंगी.....
पहले तो उसने सबके लिए चाय बनाई फिर
रसोई साफ करी- मूंग की दाल, रोटी और
लौकी की सब्जी बना दी, सबने बैठकर खाना खाया....
माँ को दवाई खिलाकर जल्दी जल्दी
घर आए....
सुबह की सब्जी रखी थी सो जल्दी से रोटी
बना कर गर्म गर्म सासू मांँ को परोस दीं.....
फिर उनकी दवाई खिलांई.....
आ बैठ मेरे पास राधा - तू आते ही जुट गयी
काम में कुछ बताया भी न पीहर के बारे में -
माँ पिताजी कैसे हैं...?
पिताजी तो अच्छे हैं मांँ की तबियत ठीक नहीं
है, सो खाना बनाकर खिला कर आई, इसी से
आने में देर हो गयी मुझे आपकी भी चिंता लग
रही थी, पर बेटा ठीक करा तूने, भाभी नहीं आ
पाई क्या..?
नहीं आ पाई तभी तो दोनों बहुत परेशान हो रहे
थे, अबसे तू रोज चली जाया कर सब बेटे बहुएं
तो बाहर हैं तू ही चली जाया कर.....
सुबह जल्दी जल्दी काम निपटा कर राधा मांँ
के घर जाकर रसोई साफ करके जल्दी से दोनों
समय का खाना बना कर अपनी माँ को हिदायतें
देकर स्कूल चली जाती- पतिदेव उसके लिए
टिफिन लेकर आ जाते.....
फिर स्कूल से छूट कर शाम को राधा बहुत
व्यस्त हो जाती, उसको आराम का बिल्कुल
समय न मिल पाता, थक कर चूर हो जाती...
अभी फिर सासू माँ को चेकअप के लिए ले
जाना है इधर अपनी माँ की भी चिंता है...
मेरे जाने पर कौन ख्याल रखेगा....!!
आज पीहर गयी तो देखा माँ काफी ठीक दिख
रही है सो चैन पड़ी, बहुत राहत मिली....
बोली माँ कल तो मैं आ जाऊंगी पर फिर मुझे
सासू माँ को शहर लेकर जाना है....
कोई बात नहीं बेटा अब तो मैं ठीक हो गयी हूँ
तूने इतनी सेवा जो करी.....
तेरे चार भाई होकर भी एक न आ पाया.....
तू तो मेरे बेटे से कम नहीं है.....
सुबह सुबह दोनों माँ को लेकर शहर चले
गये....डाक्टर ने सभी चेकअप करे- बोले
इनकी एक किडनी खराब हो गयी है जल्दी
ही बदलना पड़ेगी, समय भी कम है, ये काम
शीघ्र ही करना होगा...आप बेटे हैं उनके आप
टेस्ट करवा लें, मैच हो जाए तो यथा शीघ्र ही
काम बन जाएगा....
बेटे की किडनी मैच न हो पाई- डाक्टर बोले
कोई डोनर देखना पड़ेगा.....
राधा बोली - आप मेरा भी टेस्ट करा लीजिए...
आप तो बहू हैं न- ठीक है आइए देखते हैं...
रिपोर्ट आ गई है - आपकी पत्नी की किडनी
मैच हो गयी है- आज ही एडमिट कर दीजिए
कल सुबह आपरेशन होगा.....
दूसरे दिन सास बहू आमने सामने बेड पर थीं...
सास बहू का रिश्ता- चाहें तो माँ बेटी से कम
नहीं होता!!!
एक माँ बेटी का प्यार ऐसा भी....।
कहानीकार- रजनी कटारे
जबलपुर म.प्र.
Seema Priyadarshini sahay
01-Jul-2022 10:35 AM
बहुत खूबसूरत
Reply
Reyaan
29-Jun-2022 11:12 PM
बहुत खूब
Reply
Pallavi
29-Jun-2022 10:36 PM
Very nice 👍
Reply