Saurabh Patel

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लेखनी प्रतियोगिता -30-Jun-2022 क़िस्मत


मिलता वही है जो लिखा मुकद्दर में है
यूंही नहीं रोटी की कमी मज़दूर के घर में है

जो धूप में जलकर घर बनाता है औरों के लिए
अफ़सोस उसी का घर बरसात की बुरी नज़र में है

हाथों ने खूब मेहनत कि मगर मेहनत के हाथ में कुछ नही
बड़ा नाम बड़ी पहचान सब का फैसला किस्मत की लकीर में है

मत रख कोई उम्मीद खुदा से वो क्या करेगा
उसको दिन रात पूजने वाले फ़कीर झोली फैलाए हर शहर में है

पहले से तय हो चुकी है ज़िंदगी हमारी
बस कहने को हम सब इस जिंदगी के सफ़र में है।

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14 Comments

Punam verma

01-Jul-2022 06:48 PM

Very nice

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Saurabh Patel

01-Jul-2022 07:17 PM

Thank you

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Seema Priyadarshini sahay

01-Jul-2022 10:20 AM

बेहतरीन रचना

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Saurabh Patel

01-Jul-2022 11:36 AM

जी बहुत शुक्रिया आपका

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Swati chourasia

01-Jul-2022 08:20 AM

बहुत ही सुंदर रचना 👌

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Saurabh Patel

01-Jul-2022 09:27 AM

जी बहुत शुक्रिया आपका

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