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हिस्से में सारी खुशियाँ मांगी थी हमने



घर अपना तो अपना ही होता है
जो छूटा तो पराया क्यों?
जा ना तू, जाना ही तो था तुझे
मुझसे दूर, फिर आया क्यों?
मेरी खुशियां क्यों देखी नही जाती
खुदा तू मुझसे क्या चाहता है
जो हुआ नही, मेरा कभी, नामुकम्मल
वो रिश्ता बनाया क्यों?

हिस्से में, सारी खुशियाँ मांगी थी जो हमने
जाने कहाँ से, घर कर लिया वहां गम ने
मिट रह थे जख्मों के निशान अब जहाँ
खंजर फिर मारा वही, किसी झूठे भरम ने।

"लूट के ले गए चैन सारा, मेरी नींद सारी
मैं जग से हारा, वो तुमसे हारी, क्यों बेचारी
मैं खुद के हार के पीछे न वजह ढूंढू
जो हुआ था ही नही कभी मेरा, उसमें कहाँ से मैं ढूंढू
अब वो रात तन्हाइयों वाली, सुकून की बन गयी हैं
नींदे आज भी नही आती पर शामें तो ढल गयी है
चल फिर ठीक है जो चाहता है रब, कर आज वही सब
बदलेगा ये मौसम, ये आलम ये नजारा अब।"

तो कहाँ से आता फिर खबर, बेखबर मुझसे ये जहाँ
मुड़के देख, मैं वही हूँ आज भी जहां तू छोड़ गया
क्यों किया ये, कोई सवाल नही, जैसा मेरा है, तेरा हाल नही

जब साथ चलना ही नही था तो
कदम बढ़ाया क्यों?
जब छोड़ जाना ही था सफर में
मुझे आजमाया क्यों?
है सवाल लाखों अब दिल में मेरे
उठते तूफान जैसे
दूर जाना ही था तो बता
पास आया क्यों?

हिस्से में, सारी खुशियाँ मांगी थी जो हमने
जाने कहाँ से, घर कर लिया वहां गम ने
मिट रह थे जख्मों के निशान अब जहाँ
खंजर फिर मारा वही, किसी झूठे भरम ने।

©मनोज कुमार "MJ"

#MJ


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1 Comments

Aliya khan

02-Aug-2021 09:24 AM

Nice

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